Baba Ramdev Bhadwa Fair 2024: जब कपड़े का घोड़ा उड़ाने लगे थे बाबा रामदेव, आज से शुरू हो रहा भादवा मेला, जानिए बाबा के चमत्कार की कहानी

Bhadwa Fair 2024: राजस्थान के लोकदेवता बाबा रामदेव का प्रसिद्ध भादवा मेला 5 सितंबर से शुरू हो रहा है. इस मेले को लेकर जैसलमेर सहित पूरे पश्चिमी राजस्थान में उल्लास का रंग भर गया है. भक्त एक सप्ताह पहले से जैसलमेर के पोखरण में स्थित बाबा रामदेव की समाधि स्थल पर पहुंच रहे हैं.

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Baba Ramdev Bhadwa Fair 2024: राजस्थान के लोकदेवता और कलयुग के अवतारी बाबा रामदेव का 640वां भादवा मेला 5 सितंबर से शुरू हो रहा है. इस कारण बाबा के भक्तों का सैलाब बाबा की नगरी जैसलमेर में उमड़ने लगा है. पश्चिमी राजस्थान के महाकुम्भ रामदेवरा मेला को लेकर राजस्थान ही नहीं बल्कि देश भर से श्रद्धालुओं का जमावड़ा प्रतिवर्ष यहां पर लगता है. भादो (भाद्रपद) के महीने में लगने वाले इस मेले को लेकर भक्तों के उत्साह का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि श्रद्धालु दो-दो किलोमीटर लम्बी लाइनों में भी खड़े होकर बाबा की एक झलक पाने के लिए आतुर दिखाई देते हैं. इतना ही नहीं सैकड़ों हजारों किलोमीटर दूर से पैदल आकर ये लोग बाबा के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा का परिचय भी देते हैं.

पैदल यात्रा कर बाबा तक पहुंचते हैं भक्त

कहने को तो बाबा रामदेव एक लोकदेवता हैं लेकिन भक्तों के मन में उनके प्रति श्रद्धा और मेले के अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ से बाबा का दर्जा और भी अधिक बढ़ जाता है. क्योंकि भक्त इतनी दूर से पैदल आते हैं. जैसलमेर के दौरे पर आने वाले हर बड़े नेता रामदेव बाबा की समाधि स्थल पर जरूर पहुंचते हैं. 

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बाबा रामदेव की क्या कहानी हैं? भक्त क्यों 2 किलोमीटर लम्बी लाइन में खड़े होकर बाबा की झलक पाने का इंतजार करते हैं? हम बता रहे हैं इस रिपोर्ट में. 

बाबा के दर पर हर कष्ट भूल जाते हैं भक्त

बाबा रामदेव पर भक्तों के विश्वास की कहानी के पीछे उनके जीवनकाल के चमत्कार के साथ-साथ उनके भक्तों के हितार्थ किए गए कामों को लेकर हैं. आज भी ये मान्यतााएं बाबा के भक्तों के दिलों में जीवित दिखाई देती है. पश्चिमी राजस्थान के लोकदेवता बाबा रामदेव के भक्त अपनी तकलीफों, समस्याओं व दुखों के साथ आने वाला व्यक्ति बाबा की इस पावन भूमि पर आते ही अपने दुख, कष्ट व समस्याएं भूल जाता है और लीन हो जाता है बाबा की बयार में.

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बाबा रामदेव के दर्शन के लिए जुटी भक्तों की कतार.

बाबा रामदेव के 24 चमत्कार, कपड़े के घोड़े उड़ाने का चमत्कार सबसे चर्चित

बाबा रामदेव के जीवनकाल में 24 चमत्कार की कहानी चर्चित है. लेकिन इसमें सबसे मशहूर है बाबा द्वारा बालकाल दिखाया गया वो चमत्कार, जिसमें वो कपड़े के बनाए घोड़ों पर उड़ने लगे थे. घोड़लियो अर्थात घोड़ा, इसे बाबा की सवारी के लिए पूजा जाता है. कहते है बाबा रामदेव ने बचपन में अपनी माँ मैणादे से घोड़ा मंगवाने की जिद कर ली थी. बहुत समझाने पर भी बालक रामदेव के न मानने पर आखिर थक-हारकर माता ने उनके लिए एक दर्जी (रूपा दर्जी) को एक कपड़े का घोड़ा बनाने का आदेश दिया तथा साथ ही साथ उस दर्जा को कीमती वस्त्र भी उस घोड़े को बनाने हेतु दिए. 

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दर्जी को सबक सिखाने के लिए बाबा ने दिखाया चमत्कार

घर जाकर कीमती कपड़े देख दर्जी के मन में पाप आ गया और उसने उन कीमती वस्त्रों की बजाय कपड़े के पूर (चिथड़े) उस घोड़े को बनाने में प्रयुक्त किए और घोड़ा बना कर माता मैणादे को दे दिया. माता मैणादे ने बालक रामदेव को कपड़े का घोड़ा देते हुए उससे खेलने को कहा. परन्तु अवतारी पुरुष रामदेव को दर्जी की धोखाधड़ी ज्ञात थी. अतः उन्होंने दर्जी को सबक सिखाने का निर्णय किया ओर उस घोड़े को आकाश में उड़ाने लगे. 
 

राजस्थान के लोकदेवता बाबा रामदेव.

कपड़े का घोड़ा आज भी चढ़ाते हैं भक्त

यह देखकर माता मैणादे मन ही मन में घबराने लगी. उन्होंने तुरंत उस दर्जी को पकड़ कर लाने को कहा दर्जी को लाकर उससे उस घोड़े के बारे में पूछा तो उसने माता मैणादे और बालक रामदेव से माफी मांगते हुए कहा कि उसने ही घोड़े में धोखाधड़ी की है. साथ ही दर्जी ने आगे से ऐसा न करने का वचन दिया. यह सुनकर रामदेव जी वापस धरती पर उतर आए व उस दर्जी को क्षमा करते हुए भविष्य में ऐसा न करने को कहा. इसी धारणा के कारण ही आज भी बाबा के भक्तजन पुत्ररत्न की प्राप्ति हेतु बाबा को कपडे का घोड़ा बड़ी श्रद्धा से चढ़ाते हैं.

गुग्गल धूप बाबा रामदेव को अतिप्रिय

बाबा रामदेव को गुग्गल धूप भी चढ़ाया जाता है. गुग्गल धूप एक प्रकार का धूप है, जो मुख्यतया राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में पाया जाता है. यह दिखने में गोंद की तरह होता है. यह पेड़ों की छाल से निकलता है. माना जाता है कि बाबा प्रसाद चढ़ाने से ज्यादा धूप खेवण से प्रसन्न होते हैं. गुग्गल धूप की महता इस दोहे में बखान की गयी है.
हरजी ने हर मिल्या सामे मारग आय, पूजण दियो घोड़ल्यो धूप खेवण रो बताय.

गुग्गल धूप से होती है बाबा की पूजा

बाबा ने अपने परम भक्त हरजी भाटी को यह सन्देश देते हुए कहा कि "हे हरजी संसार में मेरे जितने भी भक्त हैं उनको तू यह सन्देश पहुंचा कि गुग्गल धूप खेवण से उनके घर में सुख-शांति रहेगी एवं उस घर में मेरा निवास रहेगा." बाबा के भक्तजन गुग्गल धूप के अलावा भी अन्य कई धूप यथा बत्तीसा, लोबान, आशापुरी आदि हवन में उपयोग लेते हैं.

बाबा रामदेव की पूजा-अर्चना करते भक्त.

बाबा रामदेव के रामसरोवर तालाब की मिट्टी करती है दवा जैसा काम

प्रचलित मान्यता के अनुसार बाबा रामदेव द्वारा खुदवाए गए सरोवर की मिट्टी के लेप से चर्म रोग एवं उदर रोगों से छुटकारा मिलता है. सफ़ेद दाग, दाद, खुजली, कुष्ट एवं चर्म रोग से पीड़ित सैकड़ों लोग प्रति दिन बड़ी मात्रा में रामसरोवर तालाब की मिट्टी से बनी छोटी-छोटी गोलियां अपने साथ ले जाते हैं. पेट में गैस, अल्सर एवं उदर रोग से पीड़ित भी मिट्टी के सेवन से इलाज़ की मान्यता है. रोग ठीक होने और लोग बाबा को चांदी के घुँघरू चढ़ाता है.

बाबा रामदेव की भादवा मेले के लिए किए गए खास प्रबंध

बाबा रामदेव के 640वें भादवा मेले के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है. इसके लिए जगह-जगह पुलिस चौकी लगाई गई है , सार्वजनिक स्थानों पर पेयजल की व्यवस्था की गई है. भक्तों की भारी भीड़ से भगदड़ नहीं मचे इसके लिए विशेष प्रबंध किए गए है. रामदेवरा मेले के लिए 700 पुलिस कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. जगह-जगह कैमरे लगाए गए है और अस्थाई कंट्रोल रूम बनाकर हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है. सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस के अधिकारी लगातार व्यवस्थाओ का जायजा भी ले रहे है.

रामदेवरा में मेले की शुरुआत 5 सितंबर से होनी है. लेकिन लोगों का आना पिछले एक महीने से शुरू हो गया है . जोधपुर से पोकरण व बाड़मेर से पोखरण तक हाइवे पर मेले की झलक देखी जा सकती है. रामदेवरा में अभी प्रतिदिन औसतन 50 हजार भक्त दर्शन के लिए आ रहे हैं.

बाबा के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता

रामदेवरा (रूणीचा) में प्रतिवर्ष भादवा माह में एक माह तक चलने वाला मेला आयोजित होता है. इस मेले में लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं. ये श्रद्धालु अपने-अपने घरों से बाबा के दरबार तक का सफ़र पैदल तय करते है. कोई पुत्ररत्न की चाह में तो कोई रोग कष्ट निवारण हेतु, कोई घर की सुख-शान्ति हेतु यह मान्यता लेकर की बाबा के दरबार में पैदल जाने वाले भक्त को बाबा कभी खाली हाथ नहीं भेजते यहा पर आते हैं. 

रात में जम्मा जागरण करते हैं भक्त

पैदल श्रद्धालु अमुमन एक संघ के साथ ही यात्रा करते हैं और इस संघ के साथ अन्य श्रद्धालु भी मार्ग में जुड़ते जाते हैं. सभी पैदल यात्री बाबा के जयकारे लगाते, नाचते गाते हुए यात्रा करते हैं. रात्रि ठहराह के समय ये उस ठहराव स्थल में जम्मा जागरण भी करते हैं. जब ये पैदल यात्री अपनी यात्रा पूर्ण करके रामदेवरा पहुंचते हैं तो इनके माथे पर ज़रा सी भी थकान या सिकन दिखाई नहीं देती, बल्कि और भी अधिक जोश के साथ बाबा के जय का उदघोष करते हुए ये भक्तजन बाबा के दर्शन हेतु मिलों लम्बी कतारों में लग जाते हैं. 

जूते-चप्पल छोड़ जाते हैं भक्त

बाबा के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं की एक मान्यता यह भी है कि जब वे यहाँ पहुंचते हैं तो जिन चप्पल-जूतों को पहन कर वे यहाँ आते है उनको वापस जाते समय यहीं छोड़ देते है. उन भक्तों का मानना है कि जो दुःख-दर्द, रोग, कष्ट वे अपने साथ लेकर आते है उन को वही त्याग कर एक नए सुखद जीवन की शुरुआत हेतु वे ऐसा करते हैं.

कौन थे बाबा रामदेव

15वीं शताब्दी के महान संत और समाज सुधारक थे. बाबा रामदेव महाराज का जन्म 1409 ईस्वी में पोखरण के शासक अजमाल सिंह तंवर के घर हुआ था. बाबा रामदेव महाराज लोक देवता माने जाते हैं. यह मंदिर उनकी समाधि पर बना हुआ है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. बाबा रामदेव को 36 कौम के लोग पूजते है, क्योंकि बाबा ने सामजिक समरसता का संदेश विश्व में दिया था.

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