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This Article is From Sep 24, 2023

Women Reservation Bill के बाद घर की तुलसी, पूरे जग में अपनी ख़ुशबू फैलाने को है तैयारः वसुंधरा राजे 

वसुन्धरा राजे रामलीला मैदान में धर्म रक्षा समिति द्वारा आयोजित मातृशक्ति समागम कार्यक्रम में महिला आरक्षण बिल पर अपनी बात रखी. उन्होंने महिलाओं को अपनी रक्षा स्वयं करने के लिए भी प्रेरित किया.

Women Reservation Bill के बाद घर की तुलसी, पूरे जग में अपनी ख़ुशबू फैलाने को है तैयारः वसुंधरा राजे 
वसुंधऱा राजे (फाइल फोटो)

पूर्व सीएम वसुन्धरा राजे रामलीला मैदान में सोमवार को धर्म रक्षा समिति द्वारा आयोजित मातृशक्ति समागम कार्यक्रम में संसद के दोनों सदनों में पास हुए महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा करते हुए महिला शक्ति से आगे आकर खुद के लिए खड़े होने का आह्वान किया. उन्होंने कहा जब-जब अत्याचार और अन्याय की पराकाष्ठा हुई मातृशक्ति को स्वयं आगे आना पड़ा.

हमारी भाजपा सरकार ने महिला को आरक्षण दिया तो आज प्रदेश में ज़िला प्रमुख, प्रधान और सरपंच 50 फ़ीसदी महिलायें है. प्रदेश की पहली विधानसभा में सिर्फ 2 महिला विधायक थी. आज यह संख्या 24 है, लेकिन.महिला आरक्षण के बाद यह संख्या 66 हो जाएगी. पहली लोकसभा में 22 महिला सांसद थीं. और आज 66 हैं. जो कि महिला आरक्षण बिल के बाद 181 हो जाएंगी.                                                    -वसुंधरा राजे

 पूर्व सीएम ने कहा कि एक समय में महिलाएं घर के आंगन की तुलसी थी. उनका बाहर की दुनियाँ के बारे में सोचना आसान नहीं था, पर घर की यह तुलसी "नारी शक्ति वंदन अधिनियम" (women reservation bill) के बाद पूरे जग में ख़ुशबू फैलाने को तैयार है. यह संभव पीएम नरेंद्र मोदी की वजह से हुआ. इसके लिए उनका ह्रदय से आभार है.

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पूर्व सीएम और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती वसुन्धरा राजे ने आगे कहा कि आज हर तरफ़ महिलाओं के अपमान की खबरें सुनाई दे रही है. एक दिन में लगभग 87 बलात्कार के मामले (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो-एनसीआरबी) हो रहे है. महिलाओं से दुष्कर्म के क़रीब 1400 प्रकरण अभी भी न्यायलय में लम्बित है.

घर की यह तुलसी "नारी शक्ति वंदन अधिनियम" (women reservation bill) के बाद पूरे जग में ख़ुशबू फैलाने को तैयार है.

उन्होंने आगे कहा कि जब देवता असहाय हुए तो माँ देवी ने ही महिषासुरमर्दनी के रूप में महिषासुर का अंत किया. महिलाएं अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए चंडी का रूप धारण कर लेती हैं. क्योंकि संघर्ष के बिना महिलाएं समाज में परिवर्तन नहीं ला सकती. 

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आज हालात इतने ख़राब हैं कि इनसे निपटने के लिए अब मातृ शक्ति को खुद आगे आना पड़ेगा. अनादिकाल से ही महिलाओं को शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना सहन करनी पड़ रही है. लेकिन सहन करने की भी एक सीमा होती है. तो अब बस बहुत हुआ.

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