Sambhar lake News: एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की सांभर झील एक बार फिर गंभीर पर्यावरण संकट के कगार पर है. डीडवाना जिले के नावां उपखंड मुख्यालय से सटे मोहनपुर इलाके में झील किनारे सैकड़ों मरी हुई मछलियां मिलने से हड़कंप मच गया. विदेशी प्रवासी पक्षियों की मौत के बाद अब इस झील में मछलियों की मौत प्रशासन और पर्यावरण विभाग के लिए नई चुनौती बनकर सामने आई है.
मरी हुई मछलियों के कारणों की जांच शुरू
सोमवार सुबह, स्थानीय गांववालों की सूचना पर वेटनरी और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीमें मौके पर पहुंचीं और मरी हुई मछलियों के मौत के कारणों की जांच शुरू की. शुरुआती जांच में पता चला कि झील में बढ़ते प्रदूषण और पानी में तेजी से खारापन बढ़ने की वजह से ये मौतें हुई होंगी.
847 मरी हुई मछलियां मिलीं
वेटनरी डिपार्टमेंट के डॉ. मोतीराम कुमावत के मुताबिक, झील के किनारे करीब 847 मरी हुई मछलियां मिलीं, जिनमें से ज़्यादातर मीठे पानी की प्रजातियां थीं. बारिश के दौरान झील में मीठा पानी आने से इनकी संख्या बढ़ गई थी, लेकिन अब जैसे-जैसे पानी सूखने लगा है और नमक की मात्रा बढ़ रही है, मछलियां मर रही हैं.
बोटुलिज़्म और टॉक्सिन नाम के केमिकल होने की जताई आशंका
डॉ. कुमावत ने आगे कहा कि टेस्ट के आधार पर पानी में बोटुलिज़्म और टॉक्सिन नाम के केमिकल होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि यह केमिकल अक्सर रिफाइनरी जैसे इंडस्ट्रियल वेस्ट से बनता है. इसी वजह से पहले भी सांभर झील में सैकड़ों विदेशी माइग्रेटरी पक्षियों की मौत हो चुकी है.
पानी का लेवल होगा कम तो होगा खतरा
डॉ. कुमावत ने चेतावनी दी कि जैसे-जैसे झील का पानी का लेवल कम होता जाएगा, स्थिति और गंभीर हो सकती है और मरी हुई मछलियों और पक्षियों की संख्या बढ़ सकती है. दूसरी ओर, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और एडमिनिस्ट्रेशन ने आस-पास के इलाके की निगरानी बढ़ा दी है और पानी के सैंपल टेस्टिंग के लिए लैब में भेज दिए गए हैं.