Rajasthan News: जिस प्रकार जीवन पर आए संकट के समय लोग संकट मोचक के रूप में 108 पर कॉल करके सहायता लेते हैं. उसी तरह बांसवाड़ा जिले में भी एक ऐसा नेता हैं जो एक कॉल पर लोगों के लिए हरदम तैयार रहता है. इसलिए वह 108 के नाम से मशहूर हो गए हैं. यह बात जिस नेता के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 2018 के चुनाव में बांसवाड़ा विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर खड़े हकरू मईडा के लिए कही थी. अब वही हकरू मईडा 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए 'चुनावी संकट' के रूप में खड़े हो गए हैं.
2025 तक चुनाव न लड़ने की थी घोषणा
भारतीय जनता पार्टी की ओर से बांसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से दो प्रमुख दावेदार हकरू मईडा और पूर्व मंत्री धनसिंह रावत ने चुनावी मैदान में दावेदारी पेश की थी. रावत ने 2018 में टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी की रुप में चुनाव लड़ा था, जिससे मईडा को हार का सामना करना पड़ा जिस पर पार्टी ने रावत को पार्टी से निष्कासित कर दिया था और दो माह पहले ही फिर से पार्टी में शामिल किया गया था. साथ ही उन्होंने दो वर्ष पहले घोषणा की थी कि वह 2025 तक कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे. बावजूद इसके भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस विधानसभा चुनाव में रावत को प्रत्याशी घोषित किया जिस पर हकरू मईडा बागी प्रत्याशी के तौर चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं. उनको मनाने के लिए पार्टी ने कई स्तर पर प्रयास किए लेकिन मईडा टस से मस नहीं हो रहे हैं और वह निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ने पर अड़े हुए हैं. इसको लेकर भाजपा पशोपेश में पड़ गई है वहीं कांग्रेस को भाजपा की इस अंदरूनी झगड़े में अपनी जीत नजर आने लगी है.
अपने ही बागी नेता से चुनाव हारने की आशंका
2018 में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मंत्री धनसिंह रावत का टिकट काट कर हकरू मईडा को प्रत्याशी घोषित किया था, जिस पर रावत ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और हकरू मईडा को हार का सामना करना पड़ा. वहीं तस्वीर 2023 के चुनाव में पलटती हुई नजर आ रही है. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने धानसिंह रावत को प्रत्याशी घोषित किया है तो हकरू मईडा ने बगावती तेवर दिखाते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. इसके चलते इस चुनाव में फिर से भाजपा को अपने ही बागी नेता से हार का सामना करना पड़ सकता है.