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This Article is From Aug 25, 2023

जनजाति आरक्षण को लेकर महापड़ाव का ऐलान, पुलिस ने नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर को किया गिरफ्तार

पुलिस ने आदिवासी आरक्षण मंच के सलाहकार और पूरे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर कमलकांत कटारा को गिरफ्तार कर लिया है और अब तक ज़िले भर में 170 लोगों को पाबंद किया गया है. .

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जनजाति आरक्षण को लेकर महापड़ाव का ऐलान, पुलिस ने नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर को किया गिरफ्तार
आदिवासी आरक्षण मंच के सलाहकार को पुलिस ने गिरफ्तार किया
BANSWARA:

राजस्थान प्रशासनिक सेवा में साढ़े छह फीसदी अलग से आरक्षण की मांग को लेकर 25 अगस्त से महापड़ाव के ऐलान के बाद जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन सतर्क हो गया है. एहतियातन पुलिस ने आदिवासी आरक्षण मंच के सलाहकार और पूरे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर कमलकांत कटारा को गिरफ्तार कर लिया है.

जिला कलेक्टर प्रकाश चंद्र शर्मा ने बताया कि महापड़ाव के ऐलान को देखते हुए जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़िले में 2 महीने के लिए धारा 144 लागू कर दी है. उन्होंने अब तक ज़िले भर में 170 लोगों को पाबंद किया गया है. यह महापड़ाव आदिवासी आरक्षण मंच मिशन-73 केंद्रीय संघर्ष समिति द्वारा बुलाई गई है. 

एक और जहां आदिवासी आरक्षण मंच मिशन-73 केंद्रीय संघर्ष समिति ने 25 अगस्त से राष्ट्रीय राजमार्ग-56 पर चक्का जाम और महापड़ाव का ऐलान किया है. वहीं राष्ट्रीय आदिवासी परिवार और भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा सहित कुछ अन्य संगठनों ने पहले ही महापड़ाव से ख़ुद को अलग कर लिया है

ज़िला कलेक्टर प्रकाश चंद्र शर्मा और पुलिस अधीक्षक अभिजीत सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि महापड़ाव को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और किसी भी स्थिति ने निपटने के लिए करीब 8 हज़ार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. 

एक और जहां आदिवासी आरक्षण मंच मिशन-73 केंद्रीय संघर्ष समिति ने 25 अगस्त से राष्ट्रीय राजमार्ग-56 पर चक्का जाम और महापड़ाव का ऐलान किया है. वहीं राष्ट्रीय आदिवासी परिवार और भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा सहित कुछ अन्य संगठनों ने पहले ही महापड़ाव से ख़ुद को अलग कर लिया है. उन्होंने अपील की है कि छात्र और युवा संवैधानिक रूप से अपनी मांग रखें और कानून व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन का सहयोग करें. 

इन मांगों को लेकर हो रहा है महापड़ाव 

आदिवासी आरक्षण मंच का कहना है कि बांसवाड़ा का इलाक़ा आदिवासी बहुल है. ऐसे में अधीनस्थ और स्थानीय भर्तियों के अलावा शिक्षण संस्थानों में आदिवासियों को 70 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए। जनजाति वर्ग को पहले से मिल रहे 12 फ़ीसदी आरक्षण में 6.5 फ़ीसदी आरक्षण अनुसूचित क्षेत्र में रहने वाले जनजाति वर्ग को मिलना चाहिए. 

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