
Rajasthan Water Crisis: हम बात कर रहे बारां जिले के आदिवासी क्षेत्र शाहाबाद उपखंड के देवरी इलाके की ग्राम पंचायत बीलखेड़ा माल के छिपौल गांव में मंगलवार भी पेयजल सुविधा उपलब्ध नहीं है. इसके चलते गांव के लोग पास से निकली कुन्नू नदी से गंदा एवं मटमैला पानी पीने को मजबूर हैं. छिपौल गांव में करीब तीस परिवार निवास करते हैं. यह गांव राष्ट्रीय राजमार्ग 27 से महज चार-पांच किलोमीटर दूरी पर बसा हुआ है. ग्रामीणों कहना है कि गर्मी ही नहीं, पूरा साल यही हाल रहता है. हां लेकिन गर्मी में समस्या और बढ़ जाती है. इन लोगों का कहना है कि बारिश के दिनों में नदी हमेशा उफान पर रहती है. ऐसे में ये पेयजल के लिए गांव से डेढ़ किलोमीटर दूर सरदारों के खेतों पर बने कुएं से पानी भर कर लाते हैं. दुर्गम रास्तों पर बारिश के दौरान चिकनी मिट्टी होने से फिसलने का भी डर रहता है.
पानी ढ़ोने को मजबूर महिलाएं और बच्चे
तो वहीं आदिवासी क्षेत्र शाहाबाद उपखण्ड का एक बड़ा कस्बा कस्बाथाना है, जो छिपौल गांव के ही करीब है. यहां भी पेयजल की बड़ी किल्लत है, इस कस्बे में नल लगे हुए है. लेकिन नलों से कभी कभार ही पानी टपकता है. तो वहीं कस्बे में हैण्डपम्प लगे हुए है इन हैण्ड पम्पों से पुरूष, महिलायें और बच्चे पेयजल की जुगत में लगे रहते है. यह सभी महिला, पुरूष, बच्चे अपने पानी के पात्रों को लेकर हैण्डपम्प पर पहरों कतार में खड़े रहते है और अपनी बारी आने पर हैंडपंप के नीचे अपना पात्र भरकर सिर पर पेयजल ले जाने को मजबूर है.
हालांकि कुछ छोटी बालिकायें अध्ययन करती है वो भी अपने सिर से पानी ढ़ोने को मजबूर है. उनका कहना है कि फिलहाल स्कुलों में छुट्टीयां चल रही है और पेयजल मिल सके इसके लिए परिजनों की मदद करते हैं. हैण्डपम्प दूर है और पानी भरने के लिए लम्बे समय तक इन्तजार करते है.
वहीं ग्रामीण महिला रोशनी मेहता का कहना है कि पानी की बड़ी समस्या है. बड़ी दूर से पानी भरने आते है. हैंडपंप से 500 मीटर की दूरी पर हमारा घर है. अलसुबह से 10 बजे तक हमारे पानी भरने का ही कार्य रहता है. नल लगे हुये है लेकिन पानी नहीं आता.
तो वहीं बारां जिले में जलजीवन मिशन के तहत 250 करोड़ रुपये की योजना में कुल 162 गांव शामिल है. 105 गांवों में कार्य पूरा हो चूका है, बाकि का अगस्त महिना तक काम पूरा होगा, बारां जिले में 195 गांव ड्राई जॉन घोषित है. लेकिन अभी आदिवासी क्षेत्र के छिपौल गांव और कस्बाथाना को 2 वर्ष और जलजीवन मिशन का पानी नहीं मिलेगा. 2800 करोड़ की पेयजल योजना से इन गांवों को जोड़ा जाएगा. लेकिन फिर भी 2 वर्ष से अधिक समय के बाद तक ही स्वच्छ जल उपलब्ध हो सकेगा.
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