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This Article is From Aug 08, 2024

सरकारी स्कूल के बच्चों को 'स्मार्ट' बना रहे बृजेश, पत्नी भी कर रहीं इस अनोखी पहल में मदद

बृजेश सेन का कहना है कि वैसे तो हमें कोटा जिले के सभी साढ़े 300 स्कूल कर करना है. लेकिन हमारी प्राथमिकता उन स्कूलों में रहती है, जहां गरीब और निर्धन वर्ग के बच्चे ज्यादा है.

सरकारी स्कूल के बच्चों को 'स्मार्ट' बना रहे बृजेश, पत्नी भी कर रहीं इस अनोखी पहल में मदद

Rajasthan News: वैसे तो कोचिंग सिटी कोटा देशभर में आईआईटी और मेडिकल की प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतरीन नतीजे के लिए जाना जाता है. लेकिन कोटा के सरकारी स्कूल के बच्चे भी अब स्मार्ट नजर आएंगे. सरकारी स्कूलों में ज्यादातर गरीब वर्ग के बच्चे अध्ययन करने के लिए जाते हैं. समय पर हेयर कट नहीं होने से उनकी स्मार्टनेस कहीं ना कहीं पीछे रह जाती है. ऐसे में कोटा के युवा बार्बर बृजेश सेन ने अनूठी पहल की है. 

फ्री में बाल काट रही बृजेश और उनकी टीम

सैलून का काम करने वाले बृजेश सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे बच्चों के बाल निशुल्क काटने का जिम्मा उठाया है. हेयर कटिंग के दौरान वे बालकों को रोज नहाने एवं साफ-सफाई से रहने जैसे टिप्स भी देते हैं. उनकी यह पहल न केवल समाज में एक पॉजिटिव संदेश दे रही है, बल्कि जरूरतमंद बच्चों के चेहरों पर स्मार्टनेस के साथ मुस्कान भी ला रही है.

अबतक 1000 से अधिक बच्चों के बाल काटे

बृजेश बताते है कि वो खुद ग्रेजुएट हैं. वे और उनकी टीम अब तक कोटा के कई सरकारी स्कूलों में जाकर कैंप लगा चुकी है, जिनमें 1000 बालकों की हेयर कटिंग की जा चुकी है. उनके इस अभियान में उनकी शॉप पर काम करने वाले 3 युवकों की टीम कैंप में सक्रिय रहती है. उनकी इस सेवा का लाभ उन बच्चों को मिल रहा है, जिनके परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जो नियमित रूप से बाल कटवाने की सुविधा नहीं ले सकते.

पत्नी कर रही है बालिकाओं की हेयर स्टाइल सेट

बृजेश ने शुरू में तो अपने सालों के लड़कों को इस महीने में अपने साथ लगाया लेकिन जब सरकारी स्कूलों में कैंप शुरू किया तो लड़कियों के हेयर कट की भी जरूरत महसूस हुई तो फिर अपनी पत्नी ममता सेन कोई अभियान से जोड़ लिया. ममता सेन बताती है कि उनको भी सामाजिक मुहिम में जुड़कर बहुत अच्छा लग रहा है. वह रोज अपने पति के साथ कोटा के किसी न किसी सरकारी स्कूल में जाती हैं, जहां वह लड़कियों के हेयर कट करती हैं.

कच्ची बस्ती के स्कूलों को देते हैं प्राथमिकता

बृजेश सेन का कहना है कि वैसे तो हमें कोटा जिले के सभी साढ़े 300 स्कूल कर करना है. लेकिन हमारी प्राथमिकता उन स्कूलों में रहती है, जहां गरीब और निर्धन वर्ग के बच्चे ज्यादा है. एक स्कूल में कटिंग करने में 4 से 5 घंटे लगते हैं और एक बच्चे की कटिंग में करीब 20 मिनट का समय लगता है.

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