भरतपुर बंध बारैठा क्षेत्र में खनन माफिया के हौसले इस कदर बुलंद हो चुके हैं कि अब वे सरकारी कार्रवाई को खुली चुनौती देने लगे हैं. हालात यह हैं कि वन विभाग और सुरक्षा बलों पर जानलेवा हमले से भी वे पीछे नहीं हट रहे. कोट की पुलिया पर अवैध खनन और परिवहन रोकने के लिए लगाए गए. अस्थायी नाके पर रात हुई घटना ने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
जवान से गन छीनने की कोशिश
एफआईआर के अनुसार, सोमवार रात करीब 8.30 बजे वन विभाग और सीमा सुरक्षा गृह बल की संयुक्त टीम कोट की पुलिया पर नाके पर तैनात थी. इसी दौरान परऊआ गांव की ओर से 10-12 लोग मोटरसाइकिल पर पहुंचे. कुछ ही देर में 4-5 ट्रैक्टर-ट्रॉलियां सैंड स्टोन के भारी ब्लॉक लेकर मौके पर आ गईं. जब टीम ने ट्रैक्टरों को रोकने का प्रयास किया तो पहले से मौजूद लोगों ने अचानक पथराव शुरू कर दिया. हालात इतने बिगड़ गए कि सीमा सुरक्षा गृह बल के एक जवान से एसएलआर छीनने तक की कोशिश की गई.
नाका भी ध्वस्त कर दिया
घटना के बाद नाका भी ध्वस्त पाया गया. इतना ही नहीं, वापस लौटते समय भी सरकारी वाहन पर दोबारा पथराव किया गया. मामले में परऊआ निवासी बबलू उर्फ बॉली, सूरज और बंटी को नामजद किया गया है, जबकि 8-10 अन्य आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए. चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्य आरोपी बबलू उर्फ बॉली के खिलाफ पहले भी सरकारी कार्य में बाधा और मारपीट के मामले दर्ज हैं, इसके बावजूद वह खुलेआम वारदात को अंजाम दे रहा है.
वनकर्मी ओर सुरक्षा बल भी सुरक्षित नहीं
यह घटना साफ संकेत देती है कि खनन माफिया अब कानून, प्रशासन और हथियारबंद बलों तक को डराने की स्थिति में आ चुका है. सवाल यह है कि जब सरकारी कर्मचारी, वनकर्मी और सुरक्षा बल ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम नागरिकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी? यदि समय रहते कठोर और मिसाल कायम करने वाली कार्रवाई नहीं हुई, तो खनन माफिया का आतंक और बढ़ सकता है.
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