
Bhil Vs Meena: डूंगरपुर में हाउसिंग बोर्ड की ज़मीन पर निर्माण कार्य के दौरान हुई एक कहासुनी अब एक बड़े जातीय विवाद का रूप ले चुकी है. सोशल मीडिया पर इन दिनों भील और मीणा समुदायों के बीच जमकर बहस हो रही है. दोनों पक्षों के लोग एक-दूसरे पर तीखे आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं.
विवाद की जड़ में भारत आदिवासी पार्टी (BAP ) के संस्थापक नेता कांतिलाल रोत का वह वीडियो है, जिसमें वे हाउसिंग बोर्ड के मीणा समुदाय से जुड़े अधिकारी दीपक मीणा के साथ विवाद करते नजर आ रहे हैं. वीडियो में रोत उन्हें गालियां देते और ''आदिवासियों का हक मारने'' का आरोप लगाते हुए ''दौसा वापस चले जाने'' की बात कहते सुनाई दे रहे हैं.
मीणा समाज ने इस बयान को पूरे समाज का अपमान बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है. वहीं, कांतिलाल रोत ने सफाई में कहा है कि “मेरी टिप्पणी व्यक्ति विशेष के लिए थी, पूरे समाज के लिए नहीं.”
इस प्रकरण के बाद बीएपी पार्टी में भी भूचाल आ गया है. मीणा समुदाय से जुड़े कई नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. सोशल मीडिया पर पार्टी की जमकर आलोचना हो रही है. बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद राजकुमार रोत ने भी सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए सफाई दी है और कहा कि कुछ ताकतें आदिवासी नेतृत्व को बदनाम करने की साजिश कर रही हैं.
क्या बोले डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद रोत ?
BAP के नेता और डूंगरपुर-बांसवाड़ा के सांसद ने इस मामले सोशल मीडिया पर एक लंबा पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा, ''पिछले एक माह में ये दोनों घटनाओं की वजह से ST-ST आपस में लड़ रहे हैं, मीणा समूह भील समूह से ज्यादा पड़ा लिखा है और पूरे देश का आदिवासी चाहता है कि मीणा समूह सक्षम होने के नाते बड़े भाई को रूप में पूरे देश के आदिवासी, दलित और पिछड़ों का नेतृत्व करें.
लेकिन इस घटना के बाद जिस प्रकार से सोशल मीडिया पर गालियां दी जा रही है, उस से तो क्या अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी शिक्षित व सक्षम होने का परिचय देने का समय है, ना कि सोशल मीडिया पर आपस में लड़ने का.''
''सोशल मीडिया पर गालियां देने से ही समाधान निकलता है तो खूब गालियां दो''
रोत ने कहा, ''इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर जो लड़ाई का वॉर चल रहा है, उससे तो लग रहा है कि दुश्मन सफल हो गया और जरा ये भी दिमाग लगाओ कि भील के नाम से जो आईडी है और जिस से मीणाओं को गाली दी जा रही है, वो वास्तविक भील है या भील के भेष में फर्जी आईडी है ?''
''जिस से भील समूह को गाली दी जा रही है. वो वास्तविक मीणा है या मीणा के वेश में फर्जी आईडी है? और कई फर्जी सोशल मिडिया एकाउंट्स जो आदिवासी एकता को नहीं चाहते है वो कौन है? इतना तो आप भी अंदाजा लगा ही सकते हो. यदि सोशल मीडिया पर गालियां देने से ही समाधान निकलता है तो खूब गालियां दो. ''
हाल ही में हुआ था रिश्वत कांड
हाल ही में बागीदोरा विधायक को टोडाभीम से विधायक रहे रामनिवास मिणा व उनके पुत्र रविन्द्र मीणा द्वारा किसी के कहने पर फसाया, ये पार्टी के बढ़ते प्रभाव को रोकने की साज़िश है. स्थानीय प्रशासन फिलहाल मामले पर नज़र रखे हुए है, हाउसिंग अधिकारी की शिकायत पर राजकार्य में बाधा का मुकदमा भी दर्ज किया गया है. यह मामला आदिवासी राजनीति के बदलते समीकरण और सामाजिक ताने-बाने पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीएपी इस विवाद को किस तरह संभालती है.
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