
Rajasthan News: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की बिजोलिया थाना पुलिस इन दिनों गंभीर आरोप लगने के कारण विवाद में है. पूरा मामला दलित युवकों को बिना वजह हिरासत में रखने और उनके कपड़े उतरवाकर मारपीट करने से जुड़ा हुआ है. लेकिन SHO लोकपाल सिंह ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है. उनका कहना है कि हमने तीनों युवकों को शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. हमने तीनों आरोपियों का मेडिकल भी कराया. इसके सभी दस्तावेज मौजूद हैं. मारपीट के आरोप गलत हैं. सभी पुलिस अफसर को इस बात की जानकारी दे दी है.
प्राइवेट पार्ट के आसपास के बाल उखाड़ने का आरोप
भील समाज के तीन युवकों को बिजोलिया थाना पुलिस ने 12 फरवरी को हिरासत में लिया और उनके साथ थाने के परिसर में अमानवीय हरकतें की. युवकों का आरोप है कि पुलिस पर उनके प्राइवेट पार्ट के आसपास के बालों को उखाड़ दिया. अब यह पूरा मामला सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है, और भीलवाड़ा एसपी को बर्खास्त करने की मांग की जा रही है. उधर मारपीट और मानवीय कृत के आरोपी के बीच दलित संगठनों ने 18 फरवरी को उपखंड कार्यालय पर प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया है. मगर मामले में अब तक कोई जांच नहीं हुई है.

एक्स पर ट्रेंड कर रही भीलवाड़ा एसपी को बर्खास्त करने की मांग.
Photo Credit: NDTV Reporter
'जातिगत गालियां देकर मारपीट करते हुए पुलिसकर्मी'
पुलिस पर अमानवीय व्यवहार और मारपीट करने के आरोप लगाने वाले युवक गोपाल भील ने NDTV राजस्थान को बताया कि वह अपने दो साथियों के साथ काम पर जा रहा था. तभी पुलिस की गाड़ी आकर रुकी और उन्हें बिना कुछ बताए गाड़ी में बैठा लिया. बिजोलिया थाना क्षेत्र के शिवपुर गांव में रहने वाले गोपाल भील ने एनडीटीवी को यह भी बताया कि वह और उसके साथी जगदीश भील और सुरेश भील, जो की आरोली के रहने वाले हैं, मजदूरी करने जा रहे थे. 12 फरवरी से 13 फरवरी तक थाने में उनके साथ अमानवीय यातनाओं का सामना करना पड़ा. इस दौरान किसी भी पुलिसकर्मी ने उन्हें मारपीट के कारण के बारे में नहीं बताया. बस पुलिस कर्मी जातिगत गालियां देने के साथ मारपीट करते रहे.
समर्थन में आए दलित संगठनों ने अचानक साधी चुप्पी
मामले की जानकारी मिलने के बाद कुछ दलित संगठनों ने पीड़ित युवकों के साथ 18 फरवरी को एसडीएम कार्यालय बिजोलिया पर प्रदर्शन किया. पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग करते हुए पीड़ित तीनों युवकों के साथ प्रतिनिधिमंडल ने उपखंड अधिकारी मजिस्ट्रेट से मुलाकात कर ज्ञापन भी सौंपा. हालांकि एक पखवाड़े बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. पीड़ित गोपाल भील का कहना है कि ना तो उनके बयान लिए गए हैं, और ना ही सार संभाल ली गई है. वे डर के माहौल में जी रहे हैं. लोकेंद्र सिंह नामक और सुरेश नाम के पुलिसकर्मी ने उनके साथ पूरी रात मारपीट की थी. इस मामले में पीड़ित दलित युवकों के पक्ष में आए दलित संगठनों ने भी अचानक चुपी साध ली है.
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