
Rajasthan News: राजस्थान के जैसलमेर (Jaisalmer) जिले के दो दिवसीय दौरे पर आए केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने शनिवार शाम मीडिया से बातचीत में बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि जब से बॉर्डर के गांवों को 'पहला गांव' कहकर संबोधित करना व विकसित करना शुरू किया गया है, तब से उसका प्रभाव भी दिखाई देने लगा है. पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और गंगानगर की तमाम सीमावर्ती तहसीलों में अनेक प्रकार की गतिविधियों की अपार संभावनाए हैं. इन इलाकों में सुविधाएं बढ़ें और यहां के देशभक्त नागरिक देश की द्वितीय रक्षा पंक्ति के रूप में अपनी जिम्मेदारी समझते हुए आचरण व व्यवहार करें, इसके लिए हम काम कर रहे हैं.
बॉर्डर दर्शन की सकेंगे टूरिस्ट
शेखावत ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बॉर्डर पर पर्यटन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. हमने देश की सेना और सीएपीएफ के साथ मिलकर भी चर्चा की है. अभी भारत सरकार के सहयोग से तनोट में डेवलपमेंट कराया जा रहा है. उसके साथ-साथ तनोट जाने वाले सभी दर्शनार्थी बबलियान वाला सीमा चौकी पर जाकर बॉर्डर दर्शन कर सकें, इसकी योजना भी बीएसएफ के साथ मिलकर बनाई गई है. आने वाले समय में सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रतिबंधों को कम करके वहां पर्यटन गतिविधियां बढ़ाने पर फोकस करते हुए काम किया जा रहा है.'
'लोगों के पलायन से सीमाएं कमजोर होती हैं'
पिछली सरकार की सोच रहती थी कि बॉर्डर प्रतिबंधित रहे. लोगों का वहां आना-जाना नहीं हो. इसी सोच के चलते कई गांव खाली हो रहे थे. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच है कि सीमावर्ती गांव हमारा आखिरी गांव नहीं, बल्कि हमारा पहला गांव है. जब से बॉर्डर के गांवों को इस सोच के लिए देखना शुरू किया गया है, वहां अपार संभावनाएं दिखनी लगी हैं. मैं मानता हूं कि जितनी ज्यादा गतिविधियां व डेंसिटी ऑफ पॉपुलेशन बॉर्डर एरिया में रहेगी, उतना ज्यादा बेहतर होगा, क्योंकि इतिहास साक्षी है कि जिस देश के सीमावर्ती क्षेत्र से लोगों ने पलायन किया है, उसकी सीमाएं कमजोर हुई हैं.'
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