Rajasthan Buldozer Action: सिलीसेढ़ से जयसमंद तक बहाव क्षेत्र में दोनों तरफ पहाड़ हैं. कई होटल वालों ने तो बहाव क्षेत्र को पूरी तरह से रोक दिया है. सड़क से पहाड़ तक निर्माण कार्य कर लिया, उसके बाद रिपोर्ट तैयार कर जिला प्रशासन को सौंपी गई. सिलीसेढ़ से जयसमंद के बहाव क्षेत्र में गरीब 16 होटल-रिजॉर्ट और अन्य निर्माण की चार दीवारियां आ रही हैं. जयसमंद बांध कई सालों से नहीं भर पा रहा है. सदन में भी ये मुद्दा उठा था.
सिलीसेढ़ के बहाव क्षेत्र में बने होटल-रिसॉर्ट
अलवर के सिलीसेढ़ के बहाव क्षेत्र में बने होटल-रिसॉर्ट और पक्के निर्माण को हटाने के लिए सिंचाई विभाग ने फिर से नोटिस जारी किया है. नोटिस में 7 दिन का समय दिया गया है, जिसमें अपने स्तर पर ही अतिक्रमण हटाने के लिए निर्देश दिया गया है. उपखंड अधिकारी प्रतीक जुईकर ने बताया कि सिलिसेढ़ से जयसमंद में आने वाले पानी के बहाव क्षेत्र में बने पक्के निर्माण होटल और रिसॉर्ट को चिन्हित कर लिया गया है. इसके बाद भौतिक सत्यापन किया. अब सिचाई विभाग ने 7 दिन का नोटिस जारी किया है. अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि अगर यह अतिक्रमण नहीं हटाया तो प्रशासनिक स्तर पर अतिक्रमण हटाया जाएगा. इसके अलावा अब हर 3 महीने में इसकी मॉनीटरिंग की जाएगी, जिससे कोई अतिक्रमण न हो.
राजस्व विभाग ने 1955 के रिकॉर्ड के आधार पर रिपोर्ट तैयार की
जल संसाधन विभाग उपखंड के सहायक अभियंता सुभाष शर्मा ने बताया कि सिलीसेड के बहाव क्षेत्र में करीब 16 अतिक्रमण मिले हैं. राजस्व विभाग ने 1955 के रिकॉर्ड के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है. इधर सिंचाई विभाग के ही जेईएन शशि प्रकाश मीणा ने बताया कि राजस्व, यूआईटी और सिंचाई विभाग की संयुक्त टीम सिलिसेड बांध के ओवरफ्लो पानी के बहाव क्षेत्र को देख रही है. यह पानी जयसमंद में जाता है. बहाव क्षेत्र में जो भी बाधक निर्माण कार्य है, उसे हटाया जाएगा. भौतिक सत्यापन शुरू किया गया है . इसमें सबसे बड़ी बात है कि अगर 1955 के रिकॉर्ड के हिसाब से बहाव क्षेत्र में कोई खातेदार बना है, तो उसे खातेदारी को भी बेदखल किया जाएगा.
जयसमंद बांध कई सालों से पानी के लिए तरस रहा था
अलवर के प्रमुख जयसमंद बांध कई सालों से पानी के लिए तरस रहा था, जिससे अलवर शहर में पानी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही थी. जयसमंद बांध में पानी लाने के लिए कई बार प्रयास किए गए. जयसमंद बांध में दो स्थानों से पानी आता है. एक रूपारेल नदी,जिसको बारा बियर बोलते हैं. बारा बियर पर बने गैराज से दो रास्ते निकलते हैं,एक रियासत कालीन बंटवारे के हिसाब से आधा पानी बारा बियर से भरतपुर चला जाता है, और आधा पानी जयसमंद बांध में जाता है. लेकिन, यहां पर भी अतिक्रमण और खातेदारों द्वारा बनाए गए पक्के निर्माण के कारण जयसमंद में पानी नहीं आ रहा है. इसी तरह सिलीसेढ से भी पानी जयसमंद में जाता है.
अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो जयसबंध बांध हो जाएगा खत्म
जब सिलीशेड बांध में ऊपरा चलती है तो उसका अतिरिक्त पानी जयसमंद बांध में बहकर जाता है, और बहाव क्षेत्र में निर्माण होटल बना दिए गए हैं. जैसे सिलीसेढ़ का बहाव क्षेत्र पूरी तरीके से रोक दिया गया है. बहाव क्षेत्र में जो होटल और रिजॉर्ट बने हुए हैं,वह काफी पहुंच वाले बताए जाते हैं. सवाल यह है कि सरकार जयसमंद बांध को जीवित रखने के लिए कितना सख्त फैसला लेती है. अगर यह अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो निश्चित रूप से जयसमंद बांध पूरी तरह खत्म हो जाएगा.