
Mej River In Bundi: बूंदी को पर्यटन नगरी के नाम से जानने के साथ इसे कृषि क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है. यहां का चावल पूरे देशभर में प्रसिद्ध है. इन किसानों को राहत देने के लिए 6 साल से खटाई में पड़ी योजना अब शुरू हो गई है. इस योजना से इलाके के करीब 25 हजार से अधिक किसानों को पानी मिलेगा. सीधा किसानों के खेतों पर इस योजना के तहत बड़े पाइप पहुंच गए है और बिना मोटर के किसान इस पानी से अपनी खेती कर सकेंगे और पीने के उपयोग में ले सकेंगे.
बूंदी जिले के गेंडोली इलाके में स्थित जिले की सबसे बड़ी मेज नदी पर प्रदेश की पहली सोलर लिफ्ट सिंचाई परियोजना का शुरू होने से किसानों को निशुल्क पानी मिलेगा. सोलर लिफ्ट सिंचाई परियोजना में जल संसाधन विभाग किसानों को पानी देने के साथ-साथ विद्युत विभाग को भी सोलर के माध्यम से विद्युत आपूर्ति देगा.
2016 में इस योजना की नींव रखी गई थी लेकिन ठेकेदार ने किन्हीं कारणों के चलते इस कार्य को पूरा नहीं किया लेकिन अब सरकार बदलने के साथ ही यह योजना शुरू हो गई है. इसी साल इस योजना का लाभ किसानों को मिलने लग जाएगा. इस योजना से किसानों को फायदा होगा. साथ में उन्हें हर वर्ष लाखों रुपए का डीजल इंजन किराए पर लाना नहीं पड़ेगा और मुनाफे की खेती उन्हें यह योजना साबित होगी.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 123.87 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित गेण्डोली और फौलाई लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं का लोकार्पण किया. इन योजनाओं से केशवरायपाटन क्षेत्र के 17 गांवों की लगभग 4,000 हेक्टेयर कृषि भूमि को स्थायी सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी.
परियोजना 'हर खेत तक पानी' के संकल्प की दिशा में सशक्त कदम - बिरला
लोकसभा स्पीकर बिरला ने कहा कि समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाना हमारा संकल्प है, और यह तभी संभव है जब हर खेत तक पानी पहुंचे और किसान को समृद्धि का आधार मिल सके. उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के माध्यम से अब पूरे वर्ष जल उपलब्ध रहेगा, जिससे किसान तीन फसलें तक लेने में सक्षम होंगे. बिरला ने कहा कि कुछ महीनों में नौनेरा बांध का जल इस क्षेत्र में उपलब्ध होगा, जिससे खेतों के साथ-साथ घर-घर तक नल से पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी. उन्होंने कहा कि ऐसी लिफ्ट सिंचाई योजनाएं उन सभी क्षेत्रों में शुरू की जानी चाहिए, जहां किसानों को उनकी सर्वाधिक आवश्यकता है.
बारिश का पानी किसानों का मददगार
एनडीटीवी को कृषि एक्सपर्ट जगदीश मंत्री, किसान नेता राकेश बोयत ने बताया कि इस इलाके में केवल बरसात का पानी ही किसानों के लिए मददगार साबित होता है. क्योंकि वह हमेशा तो डीजल पंप से पानी का जुगाड़ नहीं कर सकते ऐसे में किसानों ने अपने खेतों में कुएं बना रखे हैं ताकि किसान बरसात के समय में धोरे बनाकर कुएं में पानी का जुगाड़ कर सके.
जब किसानों के कुएं में पानी खत्म हो जाता है तो उसे समय किस पंप और डीजल का उपयोग लेते हैं और अपनी सिंचाई को करते हैं. तब जाकर कहीं ना कहीं फसल हो पाती है. लेकिन इस योजना के शुरू होने से किसानों को 1 साल में तीन फसल करने का मौका मिलेगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी. योजना शुरू होने के साथ किसानों के चेहरे खिल उठे हैं.
हाउस में 3 पंप 24 घंटे चालू रहेंगे
इस योजना के तहत नदी पर दो कुएं बनाए हैं जिनके पास एक पंप हाउस भी बनाया गया है. नदी पर करीब 6-6 मीटर के दो कुएं किनारे पर बनाए हैं. यहां से पानी साफ होकर 72 मीटर दूर 2 कुओं में पहुंचेंगे. यहां 170 एचपी के 4 पंप लगाए हैं. 3 पंप तो 24 घंटे चालू रहेगे, 1 स्पेयर में रहेगा.
यहां से 7 गांवों के 1987.84 हैक्टेयर खेतों में 10 किमी और नया पंचायत के 10 गांवों के 1997.78 हैक्टेयर खेतों में 12 किमी में डीआई पाइप लाइन बिछाई है. पंप रूम से सिचाई के लिए एचडीपीई पाइप बिछाए हैं. 4 हजार हैक्टेयर में 488 प्वाइंट बनाए गए हैं.
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