Bundi Ramgarh Tiger Reserve News: राजस्थान के बूंदी में चौथे टाइगर रिजर्व रामगढ़ अभ्यारण्य में बाघों की लड़ाई में एक बाघ की मौत के मामले में पिछले दिनों दूसरे बाघ RVT – 1 के घायल होने की खबर ने वन विभाग में हड़कंप मचा दिया है. बाघ आरवीटी-1 के शरीर पर चोट के कई निशान मिले हैं. लेकिन इस बाघ पर रेडियो कॉलर नहीं होने के कारण इसे ट्रैक करना विभाग के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई है. ऐसे में वन विभाग ने घायल बाघ के टेरिटोरियल मूवमेंट पर नजर रखने के लिए कैमरों की संख्या बढ़ा दी है.
घायल बाघ पर नजर रखने के लिए कैमरों की बढ़ाई संख्या
इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि कैमरों की संख्या बढ़ाने से घायल बाघ आरवीटी-1 की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी. इस मामले में डीसीएफ अरविंद कुमार झा ने बताया कि कैमरे में घायल बाघ शिकार करते हुए कैद हुआ है, जबकि दूसरे कैमरे में वही बाघ दूर जाता हुआ नजर आ रहा है. इसी वजह से वन विभाग के अधिकारी लगातार घायल बाघ आरवीटी-1 की निगरानी में लगे हुए हैं.
ट्रैंक्विलाइजेशन की मंजूरी मिली तो समय पर मिलेगा इलाज
RVTR 1 के घायल होने की खबर ने वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों को फिर चिंता में डाल दिया है. वन विभाग भी मान रहा है कि दोनों बाघों के बीच भीषण लड़ाई हुई जिसके कारण एक की मौत हो गई. ऐसे में दूसरे बाघ के घाव भी गहरे और ज्यादा हो सकते हैं. ऐसे में अगर चोटें ज्यादा हैं तो उसे ट्रैंकुलाइज करने के बाद ही बेहतर चिकित्सकीय राहत दी जा सकती है. लेकिन यह निर्णय राज्य स्तर पर लिया जाता है.
गौरतलब है कि 31 जनवरी को सरिस्का से लाए गए बाघ RVT 4 की रामगढ़ अभयारण्य के नंद भैरोपुर क्षेत्र में दो बाघों के बीच हुई लड़ाई में मौत हो गई थी. जबकि लड़ रहे दूसरे बाघ के भी घायल होने की आशंका के चलते वन विभाग की टीम लगातार उसकी तलाश में जुटी हुई है. बता दें कि बाघ RVT 1 रणथंभौर से ही बूंदी के रामगढ़ अभयारण्य में आया था और पिछले 3 साल से यहीं घूम रहा है, इस बाघ के पास रेडियो कॉलर भी नहीं है.
बाघ बाघिन की मॉनिटरिंग के लिए लगाए दो सौ कैमरे
वन विभाग ने आरवीटीआर की मौत के बाद अभ्यारण्य प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी है. रिजर्व क्षेत्र के उप वन संरक्षक अरविंद झा ने बताया कि दो बाघों की आपसी लड़ाई में आरवीटीआर 01 के घायल होने की आशंका है. इसके चलते रिजर्व क्षेत्र में दो सौ से अधिक कैमरे लगाए गए हैं, जिसमें कुछ कैमरों से दस सेकेंड से अधिक के वीडियो भी बनाए जा रहे हैं.
आरवीटीआर 01 की एक फरवरी से अब तक तीन बार फोटो ट्रैप की जा चुकी है, जिसमें एक बार बंद होने के बाद शिकार खाते समय फोटो ट्रैप की गई थी, ऐसे में उसके घायल होने की पुष्टि नहीं हो पाई है. वर्तमान में जंगल में शावकों समेत छह बाघ-बाघिन हैं, जिनके प्रतिदिन फोटो ट्रैप बनाए जा रहे हैं. ऐसा न होने पर दूसरे दिन पगमार्क देखे जाएंगे. दूसरे दिन भी लोकेशन न मिलने पर तीसरे दिन बफर क्षेत्र में लगे सभी दो सौ कैमरों की जांच की जाएगी, ताकि सही लोकेशन मिल सके.
खुद चलकर आए टाइगर से हुई भिड़ंत
रामगढ़ टाइगर रिजर्व में रणथंभौर से टाइगर खुद अपनी टेरिटरी बनाते हुए आया था और पिछले 3 सालों से यहां पर ही विचरण कर रहा है. रामगढ़ अभयारण्य के इतिहास में यह पहला मामला था जब बिना शिफ्ट किए गए कोई टाइगर इतने लंबे वक्त तक यहां घूम रहा हो. वन विभाग से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि इस टाइगर ने रामगढ़ अभ्यारण के सभी जंगलों को अपनी टेरिटरी का हिस्सा बना लिया था.
आरवीटीआर 04 की हो गई थी मौत
रामगढ़ अभयारण्य में इस टाइगर को आरवीटी 1 के नाम से जाना जाता था. वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अभ्यारण के अंदर यह टाइगर सबसे सीधा और नेचुरल था. लेकिन सरिस्का से लाए टाइगर आरवीटी 4 से इसकी भिड़ंत के बाद उसकी मौत पर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि टाइगर ने अपने एरिया एंक्रोचमेंट के चलते बाघ पर हमला कर दिया था जिसमें दोनों के बीच लंबी फाइटिंग हुई. गौरतलब है कि 31 जनवरी को टेरीटरी हो लेकर हुई फाइट में आरवीटीआर 04 की मौत हो गई थी.
डीसीएफ बोले लगातार की जा रही मॉनिटरिग़
डीसीएफ अरविंद कुमार झा ने बताया कि रामगढ़ विषधारी टाईगर रिजर्व में हरियाणा के रेवाड़ी वन मण्डल के आबुआ वनक्षेत्र से एक नर बाघ ST-2303 को रेस्क्यू कर यहां लाया गया था. जिसको पूर्व में विचरण कर रहे नर बाघ RVT-1 के साथ आपसी संघर्ष में नर बाघ RVT-4 की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद लगातार सभी वन्यजीव प्रेमियों के द्वारा यह कयास लगाये जा रहे थे कि इन दोनों बाघों के आपसी संघर्ष में नर बाघ RVT-4 की तो मौत हो गई है, लेकिन इसमें RVT-1 के घायल होने की संभावना से इंनकार नहीं किया जा सकता है.
इसके अलावा टाईगर रिजर्व में उपयोग किये जा रहे कैमरा ट्रेप की लोकेशन को परिवर्तित कर RVT-1 के संभावित घूमने वाले वनक्षेत्रों में स्थापित किया गया है. साथ ही कुछ और कैमरा ट्रेप को स्थापित करने की प्रक्रिया की गई है. इसमें लगाए गये कैमरों की आसपास की रिडिंग ले ली जाती है. इसके साथ-साथ अतिरिक्त लगाये गये कैमरों ट्रेप से फोटोग्राफी लेने के मोड को विडियो मोड में लगाया गया है. जिससे कि RVT-1 के फोटोग्राफ्स कुछ अधिक समय के लिये कैप्चर किए जा सकें. जिससे उसके घायल होने के प्रमाणिक साक्ष्य प्राप्त हो सकें. इसके साथ-साथ ही इस बाघ के संभावित विचरण क्षेत्र में कार्यरत वनकर्मियों द्वारा उक्त नर बाघ के पगमार्क, स्केट, किल, पेडों पर बाघ द्वारा किये गये नाखूनों से खरोंच आदि के साक्ष्य भी एकत्रित करने की प्रकिया की जा रही है.
वन्यजीव प्रेमी बोले" लापरवाही से नहीं हो कार्य
वन्यजीव प्रेमी अश्वनी कुक्की ने बताया की बूंदी का रामगढ़ अभयारण्य सदियों से बाघों के लिए मैटरनिटी होम के रूप में प्रसिद्ध रहा है. रामगढ़ का उत्तम प्राकृतिक वातावरण व इसके बीच में बहने वाली मेज नदी की खूबसूरत वादियों में बाघों की दहाड़ ने ही इसे भारत का एक प्रमुख अभयारण्य होने का गौरव बनाया है. वर्तमान में रणथंभौर से निकला टी-115 यानी RVT 1 यहां सेंचुरी में घूम रहा है, जिसे आए हुए 3 साल हो चुके हैं. इससे टाइगर ने ही और RVT 4 को फाइटिंग में मार डाला। अब RVT 1 टाइगर के घायल होने की खबर से सब चिंता में है, सख्त मॉनिटरिंग होना चाहिए. इसी तरह वन्य जीव प्रेमी संदीप कुमार ने कहा कि बूंदी रामगढ़ अभ्यारण में नीलगाय, सियार, हिरण, भालू, हाईना, जंगली कुत्ते, चीतल, सांभर, जंगली बिल्लियां, तेंदुए, लंगूर, सांप, मगरमच्छ सहित 500 प्रकार के वन्य जीव मौजूद हैं. रणथंभौर से ज्यादा खूबसूरत बाघो के प्रजनन के लिए ग्रास लैंड है.
केंद्र सरकार बूंदी के रामगढ़ अभयारण्य में टाइगर्स को भेज रही है लेकिन यहां पर लापरवाही की भेंट चढ़ रहे है. वही बूंदी इतिहास की जानकारी हेमलता पवार ने बताया कि घायल टाइगर के लिए कैमरे से मॉनिटरिंग करना सही नहीं है. उन्होंने विभाग से मांग की है कि घायल टाइगर को एक बार ट्रेंकुलाइज करें ताकि पूरी स्थिति से वाकिफ हो लिया जाएगा. कोई गहरी अंदरूनी चोट लगी हुई होगी तो बाद में अनहोनी का भी डर है. उन्होंने कहा की बूंदी को पर्यटन नगरी के नाम से जाना जाता है लेकिन सेंचुरी डेवलप होने से यहां पर और भी रोजगार के अवसर प्रदान होंगे.
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