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Explainer: रणथंभौर के 31 बाघों को अपने इलाके की तलाश, त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर अगले 3 महीने डर-डर के रखें कदम

Ranthambore Safari: रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 80 बाघ, बाघिन और शावक विचरण कर रहे हैं. इनमें 24 बाघ, 25 बाघिन और 31 शावक शामिल हैं. अधिकतर शावक युवा अवस्था में प्रवेश कर चुके हैं, जिसके चलते उन्हें खुद के लिए सुरक्षित इलाके की तलाश है.

रणथंभौर में युवा होते शावक वन विभाग के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं.

Rajasthan News: सवाई माधोपुर स्थित राजस्थान के सबसे बड़े रणथंभौर टाइगर रिजर्व (Ranthambore National Park) में बाघों की संख्या लगातार वृद्धि हो रही है. लेकिन युवा होते बाघ शावकों (Young Tiger Cubs) की बढ़ती संख्या अब वन विभाग (Rajasthan Forest Department) के लिए चिंता का विषय बन गई है. युवा बाघ शावक अपने लिए नए इलाके की तलाश में रणथंभौर की परिधि से बाहर निकल रहे हैं, जिन्हें वन विभाग के अधिकारी बार-बार ट्रंकुलाइज कर जंगल में छोड़ रहे हैं.

939.14 वर्ग किमी में फैला रणथंभौर पार्क

यूं तो रणथंभौर टाइगर रिजर्व प्रथम का क्षेत्रफल 1068 वर्ग किलोमीटर है, लेकिन इसमें 128 वर्ग किलोमीटर पाली घाट चंबल घड़ियां का इलाका शामिल है. ऐसे में रणथंभौर में केवल 939.14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में टाइगर विचरण करते हैं. 939.14 वर्ग किलोमीटर में फैले रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 600 वर्ग किलोमीटर का कोर एरिया है. इससे बाहर के इलाके को बफर एरिया कहा जाता है. 

80 में से 31 बाघ जवानी की दहलीज पर 

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 80 बाघ, बाघिन और शावक विचरण कर रहे हैं. इनमें 24 बाघ, 25 बाघिन और 31 शावक शामिल हैं. रणथंभौर का बेहतर पर्यावरण और वन विभाग की अथक मेहनत के चलते बाघों की संख्या में वृद्धि हो रही है. रणथंभौर में विचरण करने वाले 31 शावकों में से अधिकतर शावक युवा अवस्था में प्रवेश कर चुके हैं, जिसके चलते उन्हें खुद के लिए सुरक्षित इलाके की तलाश है. यही वजह है कि युवा बाघ शावक आए दिन रणथंभौर की परिधि से बाहर निकल रहे हैं. वन विभाग के पास इन शावकों को रोकने का कोई ठोस प्लान नहीं है, जिससे आए दिन वन विभाग की टीम को दौड़ लगानी पड़ रही है. 

बाघ शावकों के आए दिन बाहर निकलने से बाघ-मानव संघर्ष का खतरा भी बढ़ रहा है और रणथंभौर से सटे गांवों में हमेशा अनहोनी की आशंका बनी रहती है.

युवा बाघ शावकों को कैसे मिले अपना इलाका?

रणथंभौर के वन्यजीव विशेषज्ञ डॉक्टर धर्मेंद्र खांडल का कहना है कि अगर वन विभाग और राज्य सरकार सही तरह से कोई ठोस फैसला ले तो इन युवा होते बाघ शावकों को पर्याप्त इलाका मिल सकता है. खांडल के मुताबिक...

  • रणथंभौर में आज भी कई इलाके ऐसे हैं, जहां बाघों की संख्या बेहद कम है. युवा होते बाघ शावक वहां अपना इलाका खुद बना सकते हैं या फिर वन विभाग इन्हें वहां स्थापित कर सकता है.
  • रणथंभौर के अलावा रणथंभौर का दूसरा डिवीजन कैलादेवी अभयारण्य (Kailadevi Wild Life Sanctuary) में भी बाघों की संख्या बेहद कम है. इन युवा होते बाघ शावकों को वहां भी भेजा जा सकता है.
  • रणथंभौर में युवा होते बाघ शावकों को चिन्हित कर नर और मादा का अनुपात देखते हुए इन्हें प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में भी शिफ्ट किया जा सकता है. इससे ना सिर्फ रणथंभौर का भार कम होगा, अपितू प्रदेश के दूसरे टाइगर रिजर्व भी बाघों से आबाद हो सकते हैं.
  • वन विभाग द्वारा युवा होते बाघ शावकों के रेडियो कॉलर लगाकर इन्हें मॉनिटर किया जाए तो इन पर नजर रखी जा सकती है. इससे बाघ-मानव संघर्ष को भी टाला जा सकता है.

त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर 15 टाइगर का मूवमेंट

रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग और रणथंभौर फोर्ट में बाघ-बाघिन और शावकों का लगातार मूवमेंट बना हुआ है, जिसके चलते वन विभाग को आए दिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग बंद करना पड़ता है. इस मार्ग पर बाघिन एरिहेड व उसके दो शावक, बाघिन रिद्धि व उसके तीन शावक व बाघिन सुल्ताना व उसके तीन शावकों सहित अन्य दो-तीन बाघों का मूवमेंट रहता है. 

'अगले दो-तीन महीने बरकरार रहेगी दहशत'

त्रिनेत्र गणेश मार्ग और रणथंभोर फोर्ट पर टाइगर मूवमेंट को लेकर वन्यजीव विशेषज्ञ डॉक्टर धर्मेंद्र खांडल ने कहा, 'इस इलाके में आगामी दो से तीन महीनों तक यह खतरा बरकरार रहेगा, क्योंकि युवा होते बाघ शावक अभी तक पूरी तरह से अपनी मां से अलग नहीं हुए हैं. गर्मी कम होने तक वन विभाग भी उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट नहीं करेगा. जब युवा होते शावक अपनी मां से पूरी तरह से लग हो जाएंगे और थोड़ा मौसम खुशनुमा होगा, तब वन विभाग इन्हें किसी दूसरी जगह शिफ्ट करेगा. उस समय तक त्रिनेत्र गणेश मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को सावधानी बरतनी होगी.'

रणथंभौर नेशनल पार्क से कब-कब आई खुशखबरी:-
  • 14 मई 2025 को बाघिन 2302 ने 3 शावकों को जन्म दिया था.
  • 4 मई 2025 को बाघिन टी-111 ने 2 शावकों को जन्म दिया था.
  • 28 अप्रैल 2025 को बाघिन RBT-2313 ने 2 शावकों को जन्म दिया था.
  • 18 अप्रैल 2025 को बाघिन सुल्ताना ने  3 शावकों को जन्म दिया था.
  • 23 फरवरी 2025 को बाघिन टी 122 ने 4 शावकों जन्म दिया था.
  • 12 फरवरी 2025 को बाघिन RT 103 ने 2 शावकों को जन्म दिया था.
  • 9 सितंबर 2024 को बाघिन सिद्धि टी-125 ने 3 शावकों को जन्म दिया था. इसमें से 1 शावक की मौत हो गई थी.
  • 25 मई 2023 को बाघिन टी-69 ने 2 शावकों को जन्म दिया था, जिसमें से 1 शावक की मौत हो गई थी.
  • 16 जुलाई 2023 को बाघिन टी-124 ने 3 शावकों को जन्म दिया था.
  • जुलाई 2023 में बाघिन ऐरोहेड ने चौथी बार 3 शावकों को जन्म दिया था.
  • 25 सितंबर 2023 बाघिन सुल्ताना ने 3 शावकों को जन्म दिया था.
बाघों के बीच बढ़ सकता है टेरिटोरियल संघर्ष

यह आंकड़ा देखकर आप समझ ही गए होंगे कि वर्तमान समय में रणथंभौर में जितने शावक हैं, उनमें से अधिकतर शावक युवा अवस्था में प्रवेश कर चुके हैं, जिन्हें अब अपने लिए नए इलाके की तलाश है. अगर समय रहते वन विभाग और सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो आगामी दिनों में ना सिर्फ ये युवा शावक रणथंभौर की परिधि से बाहर निकलेंगे, बल्कि इनके बाहर निकलने से बाघ-मानव संघर्ष की घटनाओं में भी बढ़ोतरी होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. वहीं बाघों के बीच में भी टेरेटरी को लेकर आपसी संघर्ष बढ़ेगा. ऐसे में वन विभाग और सरकार को जल्द ही कोई अहम और कड़ा कदम उठाना ही होगा अन्यथा रणथंभौर में फिर कोई अनहोनी घटित हो सकती है, जिसमें बाघ सहित मानव जीवन को खतरा हो सकता है.

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