
Ranthambore National park: रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ उनके जंगल से बाहर निकलकर आबादी वाले इलाकों में आने की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं. शनिवार को एक बार फिर रणथंभौर के शेरपुर हेलीपैड पर एक नर टाइगर शावक को देखा गया, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया.स्थानीय लोगों ने हेलीपैड के पास झाड़ियों में बैठे टाइगर शावक को देखकर तुरंत वन विभाग को सूचना दी.
JCB का सहारा लेकर झाड़ियों से निकाला
सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और शावक को रेस्क्यू करने का प्रयास शुरू किया.झाड़ियों में छिपे शावक को बाहर निकालने के लिए टीम को जेसीबी का सहारा लेना पड़ा. रेस्क्यू टीम के सदस्य जेसीबी में बैठकर शावक के नजदीक पहुंचे और उसे गन शॉट मारकर बेहोश कर ट्रेंकुलाइज किया. इसके बाद शावक को वन विभाग के रेस्क्यू वाहन में डालकर सुरक्षित रूप से वापस रणथंभौर के जंगलों में छोड़ दिया गया.
बढ़ती आबादी, बढ़ते खतरे
गौरतलब है कि इन दिनों आए दिन बाघ रणथंभौर के जंगलों से निकलकर आबादी क्षेत्र में आ रहे हैं. पिछले कई दिनों भी एक टाइगर होटल सवाई विलास के निकट आ गया था, जिसे वन विभाग द्वारा ट्रेंकुलाइज कर जंगल में छोड़ा गया था. उससे पहले एक टाइगर रणथंभौर के निकट कुतलपुरा मालियाना गांव के बाजरे के खेतों में आ गया था, जिसे भी ट्रेंकुलाइज किया गया था. और आज एक बार फिर एक टाइगर शावक जंगल से निकलकर शेरपुर हेलीपैड पहुंच गया, जिसे भी वन विभाग की टीम द्वारा ट्रेंकुलाइज किया गया.
वयस्क बाघ शावक अपने क्षेत्र की तलाश में हैं
रणथंभौर में वर्तमान में तकरीबन 80 बाघ-बाघिन और शावक हैं, जिनमें लगभग 30 शावक शामिल हैं. इन 30 शावकों में से अधिकतर शावक वयस्क हो रहे है,इसी कारण उन्हें अब अपने खुद के इलाके की तलाश है.यही वजह है कि युवा होते टाइगर शावक इलाके की तलाश में आए दिन जंगल से बाहर निकल रहे हैं और वन विभाग को बार-बार उन्हें ट्रेंकुलाइज करना पड़ रहा है.
वन विभाग पर उठे गंभीर सवाल
वही अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो जल्द ही वन विभाग इन युवा होते टाइगर शावकों को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रहा है तो रणथंभौर में फिर कोई अनहोनी हो सकती है. जैसा कि बीते महीनों में हो चुका है. रणथंभौर में टाइगर हमले में दो लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें एक सात साल मासूम और दूसरा एक रेंजर को जिसे युवा टाइगर शावक 'कनकटी' के जरिए मौत के घाट उतार दिया गया था, जिसके बाद वन विभाग ने कनकटी को ट्रेंकुलाइज कर एनक्लोजर में कैद कर दिया.लेकिन उसके बाद भी रणथंभौर में खतरा कम नहीं हुआ है.
रणथंभौर के युवा होते टाइगर शावक आए दिन जहां जंगल से बाहर निकल रहे हैं, वहीं रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश मार्ग सहित रणथंभौर दुर्ग में भी टाइगर शावकों और अन्य टाइगर का मूवमेंट लगातार नजर आ रहा है, जो त्रिनेत्र गणेश दर्शनों के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी खतरा है.
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