देश में सर्वाधिक अफीम उत्पादन वाले चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र के अफीम किसानों की लम्बे समय से चली आ रही CPS पद्धति का विरोध व धारा 8/29 में संशोधन की मांग अब मामला तूल पकड़ता नज़र आ रहा हैं. किसानों के आक्रोश का कारण है नई अफीम नीति के तहत लागू की गई CPS पद्धति, जिसका प्रभाव उनके आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है. आगामी चुनावों में अफीम किसानों का मुद्दा बड़ा बन सकता हैं, क्योंकि इसी साल राजस्थान और अगले साल केंद्र के चुनाव होने हैं.
अफीम किसानों की मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन
राजस्थान के चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ और MP के मंदसौर व नीमच जिले में अफीम की बम्पर पैदावार होती हैं. चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में सबसे अधिक अफीम उत्पादन होने के कारण यह क्षेत्र आज अफीम किसानों के संघर्ष का मुख्य केंद्र बन चुका है. अफीम किसान CPS पद्धति के खिलाफ अपनी मांग को लेकर चित्तौड़गढ़ जिला कलक्ट्रेट पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
क्या हैं सीपीएस पद्धति
नई अफीम नीति के तहत CPS पद्धति लागू की गई. ऐसे किसान जो अफीम तुलाई में नियमानुसार मार्फिन पैरामीटर पर खरा नहीं उतरता हैं ऐसे किसानों को CPS पद्धति में पट्टा दिया जाता हैं. इस पद्धति के तहत किसानों को अफीम पर आने वाले डोडा पर चीरा लगाने की अनुमति नहीं होती है, बल्कि उन्हें अफीम डोडा सीधे अधिकारी को सौंपना होता है. इस परिस्थिति में अफीम किसान नई नीति के खिलाफ खड़े हो रहे हैं. साल 2022-23 में सीपीएस पद्धति में चित्तौड़गढ़ जिले के तीन खड़ों में 1954 पट्टे दिए गए थे जबकि वर्ष 2021-22 में तीनों डिवीजन में 747 अफीम किसानों को CPS पद्धति से पट्टे दिए गए थे.
धारा 8/29 का क्या मतलब है?
धारा 8/29 में पकड़े गए आरोपियों से पुलिस द्वारा पूछताछ में अफीम व डोडाचूरा किससे खरीदकर लाया गया पूछा जाता है, जिससे आरोपी द्वारा बताए गए अन्य लोगों को भी मामले में आरोपी बनाया जा सकता है. यह मामला अफीम किसानों के लिए एक खतरनाक स्थिति बना रहा है, क्योंकि इससे उनकी समाज में प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है.
चित्तौड़गढ़ क्षेत्र में अफीम किसानों का संघर्ष नए उद्यमिता की ओर बढ़ रहा है, जिसका संघर्ष राजस्थान के आगामी चुनावों और केंद्र के चुनावों में भी महत्वपूर्ण बन सकता है. अफीम किसान चाहते हैं कि उनकी मांगें सरकार द्वारा सुनी जाएं और उन्हें उचित मुआवजा मिले, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके.