Rajasthan News: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गुरुवार को दिल्ली में बीकानेर हाउस, उदयपुर हाउस और पुनर्निर्माणधीन राजस्थान हाउस का निरीक्षण किया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने पुनर्निर्माण कार्य से संबंधित अधिकारियों को कार्य में और अधिक गति लाते हुए इन्हें समयबद्ध पूरा करने के निर्देश दिए.सीएम ने कहा कि समय-सीमा के साथ ही निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का भी विशेष ध्यान रखा जाए. इस दौरान दिल्ली में स्थित बीकानेर, उदयपुर और राजस्थान हाउस के आगे के प्लान के बारे में जानकारी दी गई.
136 करोड़ में बन रहा राजस्थान हाउस
निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को भवन का अवलोकन करवाते हुए 136 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे राजस्थान हाउस के निर्माण कार्यों की प्रगति से अवगत करवाया. उन्होंने मुख्यमंत्री को नवीन राजस्थान हाउस के इतिहास के बारे में बताया कि 7050 वर्ग मीटर में पुनः निर्मित हो रहा राजस्थान हाउस, राजस्थान सरकार का एक राजकीय गेस्ट हाउस है. इसके पुनर्निर्माण में राजस्थान की कलात्मक स्थापत्य शैली का खूबसूरत तरीके से समन्वय किया जाएगा.
बाहरी दीवार पर लगाया जाएगा धौलपुर स्टोन
इसके साथ ही अधिकारियों ने सीएम को बताया कि भवन की बाहरी दीवार पर धौलपुर सैण्ड स्टोन क्लेडिंग का कार्य किया जाएगा. नवीन राजस्थान हाउस में दो बेसमेंट, भूतल और 6 फ्लोर का प्रावधान रखा गया है. भवन के बेसमेंट में पार्किंग और मुख्य भवन में लॉबी, कैफेटेरिया, वेटिंग एरिया, डाईनिंग एरिया, फव्वारा, हैंगिंग झूमर, एट्रियम बनाए जाएंगे. प्रथम तल पर कॉन्फ्रेंस हॉल, पुस्तकालय व जिम छत पर टैरेस गार्डन, पार्टी हाल, योग कक्ष आदि की सुविधाएं मिलेंगी.
उदयपुर और बीकानेर हाउस का भी किया निरीक्षण
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने देश की प्रतिष्ठित दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस से सटे हुए इलाके राजपुर रोड पर स्थित उदयपुर हाउस का भी निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने मौजूद अधिकारियों से उदयपुर हाउस में करवाए जाने वाले निर्माण कार्यों की जानकारी ली.
कल्चरल सेंटर के रूप में विकसित होगा बीकानेर हाउस
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को बीकानेर हाउस का दौरा करते हुए हाउस में राजकीय कार्यालयों का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को बीकानेर हाउस को कल्चरल सेंटर के रूप में विकसित करने के निर्देश दिये. मालूम हो कि बीते दिनों बीकानेर हाउस को सीज करने का आदेश जारी हुआ था. जिसके बाद आनन-फानन में सरकार ने मामले में न्यायिक पक्षकारों से बात करते हुए अपना पक्ष कोर्ट को बताया था.