विज्ञापन
Story ProgressBack

थार एक्सप्रेस को फिर से चलाने की मांग, भारत-पाकिस्तान के लाखों लोगों के लिए संजीवनी है यह ट्रेन

भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्तों में उपजी तल्खी के बाद राजस्थान में बसे पाक विस्थापितों और सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों के संजीवनी मानी जाने वाली थार एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन रोक दिया गया था. जिसके चलते राजस्थान में निवास कर रहे करीब एक लाख पाक-विस्थापित परिवारों का पाक में छूट गए परिजनों से मिलने के जरिए पर भी रोक लग गई.

Read Time: 4 min
थार एक्सप्रेस को फिर से चलाने की मांग, भारत-पाकिस्तान के लाखों लोगों के लिए संजीवनी है यह ट्रेन
थार एक्सप्रेस (फाइल फोटो)
Barmer:

Barmer News: थार एक्सप्रेस अंतरराष्ट्रीय रेल सेवा है. यह पाकिस्तान के कराची को भारत के जोधपुर शहर से जोड़ती है. यह ट्रेन पाकिस्तान के अंतिम रेलवे स्टेशन खोखरापार और भारत के मुनाबाव के बीच सीमा पार कर चलती थी. इन दोनों स्टेशनों के बीच करीब छह किलोमीटर की दूरी है. 

सीमावर्ती वाशिंदो का है रोटी- बेटी का नाता

आपको बता दें की राजस्थान के पश्चिमी इलाके यानी बाड़मेर और जैसलमेर के सीमावर्ती इलाके के वाशिंदो का पाकिस्तान के साथ रोटी- बेटी का नाता है. मतलब बंटवारे से पहले अकाल की स्थिति तक में यहां के लोग मजदूरी के लिए पलायन कर पाकिस्तान जाते थे. वहीं पाकिस्तान के लोग बेटियों की शादी की लिए हिन्दुस्तान आते थे. बंटवारे बाद भी ये सिलसिला जारी रहा.

थार एक्सप्रेस साल 2006 में शुरू हुई थी. थार एक्सप्रेस 6 माह भारत की ओर से जाती थी. वहीं अगले 6 महीने पाक रवाना करता था. यह ट्रेन पाक विस्थापित लोगों के लिए वरदान थी. राजस्थान के बॉर्डर पर अधिकांश विस्थापित लोग ही रहते हैं.
thar express

थार एक्सप्रेस का रूट

बॉर्डर के लोगों के लिए थार एक्सप्रेस संजीवनी थी 

किसी ने बेटी की शादी यहां की तो किसी ने बहन की किसी का भाई पाकिस्तान में रह गया. भारत में इन सब के मिलने का एक मात्र रास्ता था अटारी बाघा बार्डर, लेकिन 2006 में शुरू हुई थार एक्सप्रेस ने इन रिश्तों में संजीवनी का काम किया था. लेकिन 2019 के बाद थार एक्सप्रेस रेल सेवा बंद है. थार एक्सप्रेस 18 फरवरी 2006 से जोधपुर के भगत की कोठी स्टेशन से कराची के बीच हर शुक्रवार की रात को चलती थी. इससे पहले यह सेवा 41 वर्षों तक स्थगित रही थी.

2800 किलोमीटर का फेर लगाना पड़ता है

जिसके चलते भारत में बसे पाक विस्थापितों के साथ-साथ दोनो देशों में निवास कर रहे रिश्तेदार को खासी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. पाकिस्तान जाने और वापस आने का एकमात्र विकल्प अटारी बाघा ही है. लेकिन पश्चिमी राजस्थान और पाकिस्तान के सिंध में निवासियों को करीब 2800 किलोमीटर का सफर तय कर अटारी बाघा बार्डर से आना जाना काफी महंगा पड़ रहा है. इतनी लंबी दूरी का सफर भी आसान नहीं है. रास्ते में लूट और अनहोनी वारदात का दर भी बना रहता है. ऐसे में थार एक्सप्रेस को एकबार फिर शुरू करने की मांग जोरो से उठ रही है.

शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने मांग उठाई 

इस मांग को एक बार फिर से शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी हवा दी है. इसके साथ ही पूर्व सांसद कर्नल मानवेंद्र सिंह जसोल और कांग्रेस नेता आजाद सिंह राठौड़ ने थार एक्सप्रेस को फिर से शुरू करने की मांग की है. अब दोनो देशों के लोगो में यह उम्मीद जगी है कि जल्द ही यह ट्रेन पटरी पर दौड़ती हुई नजर आएगी.

भारत-पाकिस्तान के बीच यह सबसे पुरानी रेल सेवा है. वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान इसकी पटरियां क्षतिग्रस्त हो गईं थीं. इसके बाद इस रेल सेवा को बंद कर दिया गया था. बाद में 18 फरवरी 2006 से पुन: इस रेल सेवा को शुरू किया गया.

आमजन के लिए सस्ता और सुलभ मार्ग था

आपको बता दें कि धारा 370 हटाने के बाद से पाकिस्तान ने इसे बंद करने की घोषणा कर दी थी. राजस्थान बॉर्डर बंद होने के कारण यात्रियों को अटारी बाघा बार्डर  से होकर जाना पड़ता है. यह रास्ता आमजन के लिए कठिन और महंगा पड़ता है. वहीं हवाई यात्रा का खर्च लाखों रुपए का होता है. जो कि आम आदमी के जेब पर भारी पड़ता है. वहीं थार एक्सप्रेस में महज 700 -800 रुपए किराया लगता था.

इसे भी पढ़े: PM मोदी का तीन दिवसीय जयपुर दौरा कल से, सामने आया मिनट टू मिनट प्रोग्राम, देखें पूरा शेड्यूल

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Close