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EXPLAINER: क्या मेवाराम जैन की कांग्रेस वापसी गहलोत के कहने पर हुई? मेवाराम के लिए क्यों जरूरी है गहलोत का साथ? 

Mewaram Jain and Ashok Gehlot: मेवाराम जैन की वापसी के बाद एक बार फिर ये राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा है कि अशोक गहलोत राजस्थान कांग्रेस के पावर सेंटर है. वे अपने लॉयल नेताओं का हाथ कभी नहीं छोड़ते. और राजस्थान की राजनीति में अभी भी उनका जादू कायम है.

EXPLAINER: क्या मेवाराम जैन की कांग्रेस वापसी गहलोत के कहने पर हुई? मेवाराम के लिए क्यों जरूरी है गहलोत का साथ? 
मेवाराम जैन और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

Barmer Politics: राजस्थान में कल से दो वीडियो वायरल हो रहे हैं. एक वो जिसमें बाड़मेर बालोतरा में मेवाराम जैन का विरोध हो रहा है. जिला कांग्रेस कमेटी बाड़मेर लिखे हुए होर्डिंग के वीडियो पूरे सोशल मीडिया पर है. होर्डिंग पर लिखा है बाड़मेर हुआ शर्मसार, बलात्कारी हमें नहीं स्वीकार. इसके साथ मेवाराम जैन की वायरल हुई वीडियो के फोटो लगे हैं. हालांकि, जिला कांग्रेस इन पोस्टरों का खंडन कर चुकी है. एक दूसरा वीडियो हरीश चौधरी के पुराने भाषण का है.

इस भाषण में वे कह रहे हैं कि व्यावहारिक रूप से राजनीति में कहा जाता है कि समझौते करने पड़ते हैं, लेकिन चाहे जीवन में कोई भी समझौता कर ले कुछ भी हो जाए मगर उस चरित्रहीन ताकतों के साथ मैं संबंध नहीं रखूंगा, नहीं रखूंगा, नहीं रखूंगा. 

पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में हरीश चौधरी कांग्रेस के लिए एक बड़ा नाम है. हरीश चौधरी ने पिछले दो चुनाव में बाड़मेर जैसलमेर में कांग्रेस को मजबूती से खड़ा किया है. विधानसभा चुनाव में बायतु से उन्होंने कांग्रेस के लिए सीट जीती. इसके साथ ही अपने प्रतिद्वंदी उम्मेदराम बेनीवाल को कांग्रेस में लेकर आए. इसके बाद उम्मेदराम लोकसभा सीट जीतें. 

हरीश उन नेताओं में से है, जो दिल्ली में राहुल गांधी से सीधा मिल पाते हैं

उस वक्त कांग्रेस के दिग्गज नेता अमीन खान उम्मेदराम के खिलाफ थे और भाटी का समर्थन कर रहे थे.  इसी का परिणाम है कि हरीश चौधरी को कांग्रेस ने मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्य के प्रभारी बनाया. और कहा जाता है कि हरीश उन नेताओं में से है, जो दिल्ली में राहुल गांधी से सीधा मिल पाते हैं. 

मेवाराम जैन की वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें पार्टी से बाहर किया गया. इसके बाद कई जगहों पर हरीश चौधरी ने भाषणों में इस बात का जिक्र किया. साथ ही, ये तक कहा कि मैं उन चरित्रहीन ताकतों से संबंध नहीं रखूंगा, भले ही राजनीति से संन्यास ले घर बैठना मंजूर करूंगा.

मेवाराम जैन बाड़मेर में कांग्रेस के मजबूत नेता

मेवाराम जैन बाड़मेर में कांग्रेस के मजबूत नेता हैं. वे तीन बार विधायक रहे हैं, दो बार नगर परिषद के चेयरमैन और 2 बार बालेबा ग्राम पंचायत से सरपंच रहे हैं. बाड़मेर शहर में जैन समाज की मजबूत पकड़ मानी जाती है. मेवाराम से पहले वृद्धिचंद जैन यहां से बड़े नेता रहे हैं. वे दो बार सांसद, 4 बार विधायक समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. मेवाराम जैन इन्हीं के परिवार से आते हैं. 

मेवाराम जैन को गहलोत का साथ 

18 सितंबर 2024 को जब एक तरफ उपचुनाव को लेकर कांग्रेस वॉर रूम में प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, गोविंद डोटासरा और टीकाराम जूली समेत प्रदेश के अन्य नेता वॉर रूम में मंथन कर रहे थे. उस वक्त अमीन खान, मेवाराम जैन और अशोक गहलोत से मुलाकात कर रहे थे. इस मुलाकात के बाद मेवाराम जैन की अशोक गहलोत के साथ एक तस्वीर भी वायरल हुई. 

मेवाराम की कांग्रेस में वापसी के बाद जहां हरीश चौधरी नाराज है, वहीं ये कयास लगाए जा रहे हैं कि उनकी कांग्रेस में वापसी में अशोक गहलोत की भूमिका है.

मेवाराम जैन के पार्टी में शामिल होने पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि ये प्रोसेस जो प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कमेटी बनी हुई है अनुशासन समिति उसकी रिकमेंडेशनस हुई हैं, फिर सबकी राय की गई है.उसके बाद में ये कल परसों मैने देखा, ये फैसला हुआ है तो ये तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सोच समझ के ही फैसला किया होगा.

आखिर गहलोत के लिए क्यों जरूरी है मेवाराम?

बाड़मेर के वरिष्ठ पत्रकार शिव सोनी बताते हैं कि पश्चिमी राजस्थान में मेवाराम अशोक गहलोत के लिए अहम नेता है. पूर्व सरकार के वक्त जब अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर विवाद रहा था. तब मेवाराम जैन ने बाड़मेर जैसलमेर की 8 सीटों में से 5 पर विधायकों को गहलोत के लिए एकजुट किया. वहीं, दूसरी ओर हेमाराम चौधरी, हरीश चौधरी पायलट के नजदीक थे. इसके साथ ही हरीश चौधरी ने जैसलमेर विधायक रूपाराम मेघवाल को भी अपनी तरफ रखा.

कांग्रेस में जाट नेता एंटी गहलोत रहते हैं

ऐसे में मेवाराम जैन गहलोत के लिए जरूरी हो जाते हैं. मेवाराम जैन की छवि बाड़मेर में एक जमीन से जुड़े नेता की है. किसी बड़ी पॉलिटिकल जाति से ना आने के बावजूद उनकी क्षेत्र में मजबूत पकड़ है.

राजस्थान की राजनीति में देखा जाए तो कांग्रेस में जाट नेता एंटी गहलोत रहते हैं. 1998 में परसराम मदेरणा का सीएम बनना तय था लेकिन आखिर में गहलोत सीएम बनें. पश्चिमी राजस्थान में हेमाराम चौधरी और अब हरीश चौधरी एंटी गहलोत है.

बाड़मेर के अलावा वे जालोर सिरोही तक अपनी पैठ रखते हैं. ऐसे में पश्चिमी राजस्थान में एंटी गहलोत गुट का सामना करने के लिए मेवाराम एक मजबूत नेता है. इसके साथ ही जब से मेवाराम जैन की वापसी हुई है, तब से हेमाराम या हरीश चौधरी जो उनके विरोध में थे. दोनों ही नेताओं ने कोई बयान नहीं दिया है. अब ये भी देखना होगा कि क्या वे दिल्ली से आए आदेश को मन से मान लेंगे या फिर बाड़मेर में भी कांग्रेस दो धड़ों में बंट जाएगी? 

यह उदाहरण भी बताता है, राजस्थान कांग्रेस में गहलोत की मजबूती

विधानसभा चुनाव से एक साल पहले पूर्व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का एक वीडियो वायरल हुआ. इसमें उन्होंने कहा कौन आलाकमान? शांति धारीवाल वे ही नेता है जिन्होंने अशोक गहलोत सरकार बचाने के लिए 80 विधायकों को इस्तीफा दिलवाने की बात की थी.

इन बयानों के बाद विधानसभा चुनाव के वक्त ये बात हर जगह थी कि पार्टी धारीवाल का टिकट काट देगी. आखिरी समय तक उनका टिकट होल्ड पर था. लेकिन अंत में शांति धारीवाल को टिकट मिला और वे कोटा उत्तर सीट से 2 हजार 486 वोटों से जीते.

यह भी पढ़ें- मेवाराम जैन के पोस्टर लगाने पर जिला कांग्रेस की सफाई, कहा- कांग्रेस का नाम ग़लत इस्तेमाल किया गया

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