Rajasthan News: राजस्थान के डीडवाना जिले में कस्टोडियन जमीनों का विवाद अब नई दिशा ले रहा है. लंबे समय से किसान इन जमीनों को सरकारी घोषित किए जाने के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. अब राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए एक विशेष कमेटी बना दी है.
यह कदम किसानों के लिए राहत की सांस लेकर आया है क्योंकि कमेटी उनके दावों की गहराई से जांच करेगी. डीडवाना के सैकड़ों परिवारों की पुश्तैनी जमीनें दांव पर लगी हैं और यह फैसला उनके भविष्य को संवार सकता है.
किसानों के दर्द पर सरकार की नजर
राज्य सरकार ने कस्टोडियन जमीनों के मामले में प्राप्त शिकायतों और ज्ञापनों पर विचार करने के लिए राज्य स्तरीय कमेटी बनाई है. राजस्व विभाग के वरिष्ठ शासन उप सचिव कैलाश चंद्र कुमावत ने इस चार सदस्यीय कमेटी के गठन का आदेश जारी किया.
कमेटी में डीडवाना चोमू और जयपुर के तहसीलदार शामिल हैं साथ ही एक डिप्टी लैंड रिकॉर्ड्स अधिकारी भी. यह टीम सरकार के नियमों और दिशा-निर्देशों के आधार पर सभी बिंदुओं का कानूनी परीक्षण करेगी. जांच पूरी होने के बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी जिससे किसानों को न्याय मिलने की उम्मीद है.
यह कमेटी किसानों के उन अभ्यावेदनों पर ध्यान देगी जो जमीनों के मालिकाना हक को साबित करते हैं. डीडवाना में किसान परिवार 78 सालों से इन जमीनों पर काबिज हैं और इन्हें अपनी पुश्तैनी संपत्ति मानते हैं. लेकिन 2011 में इन जमीनों को सरकारी घोषित कर दिया गया जिससे किसानों में गुस्सा फैल गया. अब कमेटी के जरिए सरकार इस गलती को सुधारने की कोशिश कर रही है.
विधायक यूनुस खान की सक्रिय भूमिका
डीडवाना विधायक यूनुस खान ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है. उन्होंने विधानसभा में बहस की राजस्व मंत्री से मुलाकात की और उच्च अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे. उनके प्रयासों का नतीजा है कि सरकार ने कमेटी बनाने का फैसला लिया. आदेश जारी होते ही यूनुस खान प्रभावित किसानों के साथ जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर डॉ. महेंद्र खड़गावत को दस्तावेज सौंपा.
इस दौरान यूनुस खान ने कहा कि सैकड़ों किसान परिवारों की आजीविका इन जमीनों पर टिकी है. उन्होंने सरकार से अपील की कि किसानों को उनका असली और कानूनी हक जल्द से जल्द दिलाया जाए. विधायक ने सरकार की संवेदनशीलता की तारीफ की और कहा कि यह कदम किसानों के संघर्ष को मान्यता देता है. उनके अनुसार कमेटी की जांच से सच सामने आएगा और किसानों को इंसाफ मिलेगा.
78 साल पुराना दावा और नया मोड़
डीडवाना में कस्टोडियन जमीनों पर किसानों का आंदोलन सालों से चल रहा है. ये जमीनें पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए आरक्षित थीं लेकिन स्थानीय किसान इन्हें अपनी पुश्तैनी बताते हैं. 2011 में सरकारी घोषणा के बाद किसानों ने विरोध तेज किया. अब कमेटी के गठन से आंदोलन को नई ऊर्जा मिली है.
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