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राजस्थान में ड्रोन से बारिश कराने में मिली सफलता... 0.8MM वर्षा दर्ज, किरोड़ी बोले- मील का पत्थर है

रामगढ़ बांध इलाके में ड्रोन को उड़ाया गया और यहां सीडिंग करवाई गई. इसके बाद रामगढ़ बांध पर 0.8MM बारिश दर्ज की गई.

राजस्थान में ड्रोन से बारिश कराने में मिली सफलता... 0.8MM वर्षा दर्ज, किरोड़ी बोले- मील का पत्थर है
रामगढ़ बांध पर ड्रोन से हुई बारिश

Rajasthan Drone Rain: राजस्थान में ड्रोन और AI की मदद से बारिश करने का प्रयास आखिरकार सफल हुआ है. जयपुर के रामगढ़ बांध इलाके में कृत्रिम बारिश करवाने वाले ड्रोन प्रोजेक्ट की कोशिश लगातार जारी थी. सबसे पहले 12 अगस्त को बारिश कराने की कोशिश की गई, इसके बाद 18 अगस्त को भी कोशिश की गई. लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई. अब इसमें 1 सितंबर को सफलता मिली है. 

1 सितंबर को रामगढ़ बांध पर फिर से क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन किया गया. इस ऑपरेशन को एक्सेल-1 कंपनी ने हाइड्रोट्रेस प्लेटफॉर्म और मेक इन इंडिया ड्रोन की मदद से अंजाम दिया. कंपनी ने बताया कि इसमें AI-संचालित तकनीक का उपयोग किया गया जिससे क्लाउड माइक्रो फिजिक्स में सुधार दर्ज हुआ.

0.8MM बारिश दर्ज हुआ

रामगढ़ बांध इलाके में ड्रोन को उड़ाया गया और यहां सीडिंग करवाई गई. इसके बाद रामगढ़ बांध पर 0.8MM बारिश दर्ज की गई. यह ऑपरेशन कंसल्टिंग पार्टनर GenXAI के सहयोग से संपन्न हुआ है.अमेरिका और बेंगलूरु की टेक्नोलॉजी कंपनी जेन एक्स एआई पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह प्रयोग कर रही है. क्लाउड सीडिंग में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस जैसे रसायन ड्रोन, हेलिकॉप्टर या प्लेन से बादलों में छोड़े जाते हैं. ये रसायन पानी की सूक्ष्म बूंदों को आकर्षित कर उन्हें भारी बनाते हैं, जिससे वे बारिश के रूप में गिरते हैं. हालांकि, इसके लिए बादलों में पर्याप्त नमी होना जरूरी है.

किरोड़ी लाल मीणा ने बताया मील का पत्थर

राज्य के जल प्रबंधन की दिशा में इसे अहम उपलब्धि मानते हुए डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि यह उपलब्धि राजस्थान के लिए सतत जल प्रबंधन में एक बड़ी प्रगति है. साथ ही यह मेक इन इंडिया नवाचार के माध्यम से भारत की जलवायु सहनशीलता और आत्मनिर्भरता की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.

बता दें 12 अगस्त को जब पहली बार ड्रोन बारिश की कोशिश हुई थी तो इसमें किरोड़ी लाल मीणा पहुंचे थे. लेकिन यहां इतनी भीड़ हो गई कि लोगों के मोबाइल की वजह से GPS सिस्टम फेल हो गया और ड्रोन से कनेक्शन कट जाने की वजह से ट्रायल नहीं हो सका. वहीं 18 अगस्त को भी ट्रायल किया गया लेकिन ड्रोन कंट्रोल से बाहर होने की वजह से खेतों में जा गिरा था.

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