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Dungarpur: जर्जर भवन में डूंगरपुर का ‘भविष्य’, 20 कमरों में 63 सालों से चल रहा है कॉलेज अपनी बदहाली का रो रहा है रोना

Rajasthan: आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई सुविधाएं देने का दावा करती है, लेकिन धरातल पर हालात बिल्कुल उलट हैं. डूंगरपुर जिले में 8 हजार विद्यार्थियों वाले जिले के सबसे बड़े श्री भोगीलाल पंड्या (एसबीपी) कॉलेज की खंडहर हो चुकी बिल्डिंग इन दावों की पोल खोलती है.

Dungarpur: जर्जर भवन में डूंगरपुर का ‘भविष्य’, 20 कमरों में 63 सालों से चल रहा है कॉलेज अपनी बदहाली का रो रहा है रोना
श्री भोगीलाल पंड्या (एसबीपी) कॉलेज के खस्ताहाल

 Dungarpur News: आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में उच्च शिक्षा के लिए बने भवन की हालत बद से बदतर है.आजादी के बाद सरकार ने उच्च शिक्षा के लिए 1961 में डूंगरपुर मुख्यालय में श्री भोगीलाल पंड्या (एसबीपी) कॉलेज की शुरुआत की थी. लेकिन समय के साथ यह भवन पूरी तरह खंडहर हो चुका है.आगे और पीछे के सिर्फ 20 कमरे ही नए हैं. बीच का पूरा भवन खंडहर बन चुका है. इसकी छत और दीवारों का प्लास्टर कभी भी गिर सकता है. छत टूट कर गिर सकती है. हालात ऐसे हैं कि इसके नीचे पढ़ाई करना खतरे से खाली नहीं है.पीडब्ल्यूडी ने इस भवन को गिराने की बात भी कही है. लेकिन कॉलेज के साथ ही सरकार प्रशासन ने अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया है.

20 कमरों ही प्रिंसिपल रूम समेत क्लासेज

जिले का सबसे बड़ा कॉलेज होने के कारण यहां 8 हजार से अधिक विद्यार्थी नियमित रूप से अध्ययन करते हैं. जबकि इतने ही विद्यार्थी हर साल प्राइवेट एडमिशन लेते हैं। इनके रहने के लिए मात्र 20 कमरे हैं. इन कमरों में से 5 कमरे प्रिंसिपल रूम, स्टाफ रूम, एकेडमी रूम, लाइब्रेरी सहित कई अन्य व्यवस्थाओं के लिए हैं। ऐसे में कक्षाएं चलाने के लिए मात्र 15 कमरे ही उपलब्ध हैं. कमरों की कमी के कारण कई कक्षाएं नियमित रूप से संचालित नहीं हो पा रही हैं। जिससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है.

 एग्जाम टाइम पर सबसे बड़ी मुश्किल

एसबीपी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेशलाल निनामा ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या परीक्षाओं के समय होती है. एक साथ 8000 विद्यार्थियों को परीक्षा देने की व्यवस्था करना बड़ी समस्या बन जाती है. कमरों की कमी के कारण कई बार विद्यार्थियों को बरामदे में बैठकर परीक्षा देनी पड़ती है.

एक कमरे में  60 स्टूडेंट के हिसाब से 133 कमरों की जरूरत

एसबीपी कॉलेज में 8 हजार स्टूडेंट रेगुलर एडमिशन है. एक कमरे में 60 स्टूडेंट को बैठाया जा सकता है. ऐसे में 8 हजार स्टूडेंट को बैठाकर पढ़ाने के लिए 133 कमरों की जरूरत है. यानी एसबीपी कॉलेज में करीब 113 कमरों की कमी है. 

मतगणना में भी इसी बिल्डिंग का इस्तेमाल

जिले का सबसे बड़ा कॉलेज होने की वजह से इस बिल्डिंग का उपयोग कई कामों के लिए होता है. मतदान दलों की रवानगी से लेकर ईवीएम की सुरक्षा और मतगणना में भी इसी कॉलेज बिल्डिंग का यूज होता है. ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि ये कॉलेज खतरे से खाली नहीं है. हालांकि इलेक्शन में नए कमरों का इस्तेमाल होता है. लेकिन इसके बाद कॉलेज के पास दूसरे कमरे नही होते है. ऐसी सूरत में कॉलेज बंद रहता है. केवल कॉलेज के प्रशासनिक काम ही होते है. 

 सरकार से मंजूरी का इंतजार

एसबीपी कॉलेज के प्राचार्य डॉ गणेश निनामा ने बताया कि कॉलेज के खंडहर भवन की जगह पर नया भवन बनाने के लिए नया प्रपोजल तैयार कर लिया है. नए भवन के लिए 125 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज दिया है. सरकार की ओर से मंजूरी आने पर नई बिल्डिंग बनाने का काम किया जाएगा. 
 

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