
Rajasthan: राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक बार फिर राजस्थान में सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूलों को बंद करने के फैसले को जायज ठहराया है. राजस्थान सरकार ने इस साल जनवरी में 3741 महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों को बंद करने या अन्य स्कूलों में मर्ज करने के बारे में समीक्षा शुरू की थी. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस कदम का सख्ती से विरोध कर रही है क्योंकि ये स्कूल पिछली अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में ही शुरू किए गए थे. लेकिन शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्पष्ट किया है कि ये फैसला काफी सोच विचार करने के बाद किया गया है.
मदन दिलावर ने सीकर दौरे के दौरान पत्रकारों से कहा कि कई स्कूलों में एक भी छात्र नहीं आ रहा और ऐसे में सरकार के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है. मदन दिलावर ने कहा,"जब बच्चे ही नहीं आएंगे तो सरकार क्या करेगी? हमारे 386 प्राथमिक विद्यालय ऐसे थे जिनमें एक भी बच्चा नहीं था. लेकिन उन्हें भी हमने बंद नहीं किया बल्कि अन्य स्कूलों के साथ मर्ज किया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि इन विद्यालयों की संपत्ति बर्बाद नहीं हो और दूसरा विद्यालय उनका रखरखाव कर सके."
1100 स्कूलों पर खतरा
इस बीच मीडिया में आई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश के लगभग 1100 सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूलों में इस बार एडमिशन के लिए एक भी आवेदन नहीं हुआ है. ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश स्कूलों में 90% सीटें खाली हैं. प्रदेश में 3737 इंग्लिश मीडियम स्कूल ऐसे हैं जहां साढ़े 5 लाख सीटें खाली हैं. शिक्षा मंत्री के नए बयान के बाद इंग्लिश मीडियम स्कूलों के भविष्य को लेकर एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है.
शिक्षा मंत्री ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि वो बस विरोध करने के लिए विरोध करती है. उन्होंने कहा,"कांग्रेस सभी अच्छे कामों में हल्ला करती है, उन्होंने कश्मीर में 370 हटाने का विरोध किया, अयोध्या में राम मंदिर का विरोध किया, ये सर्जिकल स्ट्राइक का भी विरोध कर रहे थे."
बीजेपी पहले से करती रही है विरोध
राजस्थान सरकार ने इस साल जनवरी में सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूलों की समीक्षा के लिए उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में एक कैबिनेट सब कमेटी गठित की थी. इस कमेटी में स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और खाद्य मंत्री सुमित गोदारा को सदस्य बनाया गया था.
बीजेपी ने अशोक गहलोत सरकार के दौरान भी विपक्ष में रहते हुए अंग्रेजी मीडियम स्कूल बनाए जाने पर सवाल उठाए थे. उसका कहना था कि कई स्कूलों को हिंदी मीडियम से अंग्रेजी मीडियम में परिवर्तित कर दिया गया था, जिससे बच्चों और शिक्षकों को पढ़ाई-लिखाई में दिक्कतें हो रही थीं.
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