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Rajasthan: 'गोचर बचाओ' को लेकर महाआंदोलन के संकेत, संतों ने सरकार को चेताया; कहा- रेल रोको या बीकानेर बंद से पीछे नहीं हटेंगे

यह आंदोलन अब केवल भूमि के एक टुकड़े को बचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि आस्था, पर्यावरण, गौवंश और संस्कृति की रक्षा का सवाल बन गया है.

Rajasthan: 'गोचर बचाओ' को लेकर महाआंदोलन के संकेत, संतों ने सरकार को चेताया; कहा- रेल रोको या बीकानेर बंद से पीछे नहीं हटेंगे
NDTV Reporter

Rajasthan News: बीकानेर विकास प्राधिकरण (BDA) द्वारा गोचर और ओरण भूमि के अधिग्रहण (Acquisition) के खिलाफ अब जनमानस और संत समाज पूरी तरह एकजुट हो गया है. शनिवार को रानी बाजार स्थित आनंद आश्रम में संतों का एक विशाल सम्मेलन आयोजित किया गया, जहां से 'गौचर ओरण बचाओ संघर्ष समिति' ने सरकार को दो-टूक चेतावनी जारी की है. समिति ने स्पष्ट कहा है कि यदि गोचर भूमि के अधिग्रहण का आदेश तुरंत वापस नहीं लिया गया, तो संतों के सान्निध्य में एक 'गोचर बचाओ महाआंदोलन' शुरू किया जाएगा, जिसमें किसी भी हद तक जाने से परहेज नहीं किया जाएगा.

'गोचर जीवन का आधार है'

इस आंदोलन को सबसे बड़ा समर्थन संत समाज से मिल रहा है, जिन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि गोचर भूमि की किस्म बदलने का कोई भी प्रयास 'प्राणी मात्र' के हितों पर सीधा हमला माना जाएगा. महंत क्षमाराम महाराज ने इस मुद्दे की गंभीरता बताते हुए कहा, 'बीकानेर की गोचर भूमि केवल जमीन नहीं है, बल्कि गौवंश सहित समस्त प्राणी मात्र के जीवन का आधार है. यदि सरकार इसकी किस्म बदलने की कोशिश करती है, तो यह प्राणी मात्र के हितों पर सीधा कुठाराघात होगा. अंधे विकास की यह दौड़ विनाश को आमंत्रित कर रही है.'

'किसी भी कीमत पर हानि बर्दाश्त नहीं'

वहीं, स्वामी विमर्शानंद गिरि ने सरकार को चेताते हुए कहा, 'गौ, गोचर, गंगा, गीता, गायत्री और गोरी हमारी संस्कृति के प्रतीक हैं. बीकानेर, नथानियान, गंगाशहर, भीनासर, उदयरामसर सहित 188 गांवों की गोचर भूमि की हानि किसी भी कीमत पर नहीं होने दी जाएगी.'

'जरूरत पड़ी तो संत धरना-महापड़ाव करेंगे'

उधर, संत किशोरीदास महाराज ने भी जनशक्ति का हवाला देते हुए कहा, 'गोचर हमारी आस्था, धर्म और पर्यावरण का आधार है. यह भूमि सरकारी नहीं, बल्कि बीकानेर की जनता के पैसों से छुड़वाई गई है. यदि आवश्यकता पड़ी, तो हजारों संत बीकानेर में धरना और महापड़ाव करेंगे.'

'समय रहते आदेश नहीं बदला तो...'

योगी विलास नाथ महाराज ने इस आंदोलन को जनआंदोलन बताते हुए कहा कि सरकार ने समय रहते आदेश नहीं बदले तो संत समाज भी विरोध के लिए सड़क पर उतरने को तैयार है.

समिति का ऐलान- अब आर-पार की लड़ाई

संघर्ष समिति के संयोजक शिवकुमार गहलोत ने बताया कि जनता की भावनाओं को प्रशासन लगातार नजरअंदाज कर रहा है. गहलोत ने जानकारी दी कि बीकानेर विकास प्राधिकरण (BDA) के इस अधिग्रहण के खिलाफ अब तक 37 हजार से अधिक आपत्तियां आधिकारिक रूप से दर्ज करवाई जा चुकी हैं. उन्होंने ऐलान किया कि यदि जल्द ही सरकार ने इस मुद्दे पर जनता के पक्ष में निर्णय नहीं लिया, तो संगठन आर-पार की लड़ाई लड़ेगा. इसमें रेल रोको, बीकानेर बंद या आमरण अनशन जैसे सख्त कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटा जाएगा.

'पूर्व मंत्री समेत 6 विधायकों का मिला समर्थन'

गहलोत ने यह भी बताया कि इस आंदोलन को पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी, कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी और बीकानेर पश्चिम विधायक जेठानंद व्यास सहित छह विधायकों का समर्थन मिल चुका है. हालांकि, उन्होंने एक राज्य मंत्री और एक विधायक पर मौन साधने का आरोप लगाया. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ये नेता गोचर भूमि बचाने के लिए पहल नहीं करते हैं, तो भविष्य में जनता उनके सरकारी कार्यक्रमों का कड़ा विरोध करेगी.

आसान शब्दों में समझें पूरा मामला?

गोचर भूमि गांवों और कस्बों के पास की वह सार्वजनिक जमीन होती है जो विशेष रूप से गायों और अन्य पशुओं के चरने (चारागाह) के लिए हमेशा के लिए सुरक्षित रखी जाती है. इसे सरकारी रिकॉर्ड में 'चरागाह' या 'चरनोई' कहा जाता है. वहीं, ओरण भूमि गोचर भूमि की तरह ही होती है, लेकिन इससे गहरी धार्मिक आस्था जुड़ी होती है. यह अक्सर किसी स्थानीय देवता के नाम पर आरक्षित होती है और यहां पेड़ काटना या निर्माण करना सख्त मना होता है. ये दोनों जमीनें गौवंश के जीवन का आधार हैं, गांव की संस्कृति का हिस्सा हैं, और पर्यावरण को संतुलित रखने में मदद करती हैं, इसीलिए इनका अधिग्रहण किए जाने पर इतना बड़ा विरोध होता है.

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