Rajasthan News: जैसलमेर का सोनार दुर्ग जो कि यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल है. इसके बावजूद यह सोनार दुर्ग अपनी दुर्दशा पर आंसु बहा रहा है. उत्तर भड़ किवाड़ भाटी शासकों की वीरता का प्रतीक यह दुर्ग में यूनेस्को की धरोहर में शामिल 6 किलो में से एक है, लेकिन इस धरोहर का अपमान करने के लिए सरकारी विभाग खुद न्योता दे रहे है. सोनार दुर्ग के प्रति सरकारी विभागों की दोहरी नीति के चलते इसका दोहन हो रहा है. जिस किले को बचाने के लिए करोड़ो रुपए खर्च किए जाते है, लेकिन इसकी खामियों पर पुरातत्व विभाग भी आंखे बुंदे बैठा है.
दुर्ग के लोगों के लिए नियम
भारतीय पुरातत्व और सर्वेक्षण विभाग द्वारा कई नियम कानून इसके संरक्षण के लिए बनाए गए है, लेकिन यह केवल सामान्य लोगों के लिए है. एक ओर जहां सोनार दुर्ग के मूल स्वरूप को बचाने की बात करते हुए विभिन्न नियमों का हवाला देकर, दुर्ग में रहने वाले लोगों को घर की रिपेयरिंग इत्यादि की परमिशन तक नही देता है. वहीं पुरातत्व विभाग इन टॉयलेट के मुद्दों पर मौन रहकर खुद इस दुर्ग का दोहन करने में भागीदारी निभा रहे हैं. सोनार दुर्ग की दीवारों पर नगर परिषद ने सालों पहले अव्यवस्थित टॉयलेट बनाकर रखे हैं.
फोर्ट की दीवार का हो रहा दुरुपयोग
देश-विदेश से जैसलमेर का यह सोनार दुर्ग देखने के लिए लाखों पर्यटक हर वर्ष आते हैं और इसकी तारीफ करते हैं. वहीं जब पर्यटक इसकी तलहटी से गुजरते हैं और यह चांद में दाग नुमा टॉयलेट देखते है तो काफी बुरा एक्सपीरियंस लेकर जाते हैं. सोनार दुर्ग की दीवारों पर पिलर तो लगाए गए लेकिन फोर्ट की वॉल को टॉयलेट की दीवार की तरह उपयोग किया जा रहा है.
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