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Rajasthan: सरकारी अफसर और कर्मचारी ही खा रहे थे गरीबों का गेहूं, 83 हजार से ज्‍यादा कर्मचारी ले रहे थे लाभ

Rajasthan: जांच में दौसा जिला सबसे आगे निकला, जहां करीब 8 हजार कर्मचारी योजना के अपात्र होते हुए भी गेहूं ले रहे थे. बांसवाड़ा इस मामले में दूसरे स्थान पर रहा.

Rajasthan: सरकारी अफसर और कर्मचारी ही खा रहे थे गरीबों का गेहूं, 83 हजार से ज्‍यादा कर्मचारी ले रहे थे लाभ
सरकारी अधिकारी और कर्मचारी गरीबाें का खा रहे थे गेहूं.

Rajasthan: राजस्थान में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत गरीबों को मिलने वाले सस्ते गेहूं को सरकारी कर्मचारी-अधिकारी ही वर्षों से अवैध रूप से उठाते रहे. योजना को आधार से लिंक करने के बाद खुलासा हुआ कि प्रदेश के 40 जिलों में 83 हजार 679 सरकारी कार्मिक इस योजना का गलत लाभ ले रहे थे. इनसे अब तक 82 करोड़ रुपए की राशि सरकार ने वसूल की है. लेकिन, यह रकम अब तक केंद्र सरकार को लौटाई नहीं गई है, जिस पर कैग ने आपत्ति भी जताई है.

2 रुपए में गेहूं लिया, 27 रुपए वसूली 

सरकारी कर्मचारियों ने वर्षों तक 2 रुपए प्रति किलो की दर से गेहूं लिया लेकिन सरकार ने इनसे वसूली बाजार दर 27 रुपए किलो के हिसाब से की गई है. जयपुर ग्रामीण के बस्सी और चौमूं में कई शिक्षकों से एक-एक लाख रुपए तक की रिकवरी हुई. अलवर के राजगढ़ में हरिराम मीणा और दिल्ली पुलिस में कार्यरत हजारीलाल जैसे कार्मिक भी इस योजना का अवैध लाभ उठाते पाए गए.

82 करोड़ राशि की रिकवरी की जा चुकी है 

साल 2020 में शिकायतों के बाद राज्य सरकार ने योजना को आधार से लिंक करते हुए पात्रता की जांच शुरू करवाई. लाखों रुपए की सैलरी लेने वाले सरकारी कार्मिकों के नाम सामने आने के बाद वसूली शुरू की गई. मई 2025 तक 82 करोड़ रुपए की राशि रिकवर की जा चुकी है. यह वसूली केंद्र सरकार की योजना से संबंधित है लेकिन यह राशि अभी तक भारत सरकार को नहीं लौटाई गई है. वित्त विभाग में यह फंसी हुई है और कैग ने इस पर आपत्ति भी जताई है. इस पर सवाल पूछे जाने पर खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने कहा कि यह राज्य और केंद्र सरकार का आंतरिक मामला है.

4.34 करोड़ लोग लाभ ले रहे हैं

खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने कहा कि राज्य की कुल आबादी के अनुपात में केंद्र सरकार से 4.46 करोड़ लोगों के लिए गेहूं मिलता है. वर्तमान में 4.34 करोड़ लोग इसका लाभ ले रहे हैं. पात्रता की पुनः समीक्षा और वसूली की प्रक्रिया जारी है. बकाया जमा नहीं कराने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

23 लाख लोगों ने योजना से नाम हटवाया 

राज्य सरकार ने 1 नवंबर 2024 को ‘गिव अप' अभियान शुरू किया, जिसके तहत अब तक 23 लाख लोगों ने योजना से नाम हटवाया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद 27 लाख लोगों को ई-केवाईसी न होने पर योजना से बाहर कर दिया गया. वहीं 26 जनवरी से अब तक 51 लाख नए पात्र लाभार्थियों को योजना में शामिल किया जा चुका है.

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