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Rajasthan Politics: सात घरों के कुलदीपक बुझ गए, यहां सर्कस चल रहा... झालावाड़ हादसे पर डोटासरा ने दागे सवाल

झालावाड़ स्कूल हादसे पर सरकार को आड़े हाथ लेते हुए डोटासरा ने कहा कि पिपलोदी जैसी बड़ी मुसीबत के समय फैसला और घोषणाएं राज्य के मुखिया को अपने विवेक से फैसला लेकर करनी होती है, लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री की तरफ से अब तक कोई घोषणा इन बच्चों के लिए नहीं की गई.

Rajasthan Politics: सात घरों के कुलदीपक बुझ गए, यहां सर्कस चल रहा... झालावाड़ हादसे पर डोटासरा ने दागे सवाल
झालावाड़ हादसे पर गोविंद सिंह डोटासरा ने दागे सवाल (फाइल फोटो)

Rajasthan News: पिपलोदी गांव में स्कूल हादसे के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा झालावाड़ के दो दिवसीय दौरे पर हैं. बुधवार को झालावाड़ पहुंचते ही सरकार पर जबरदस्त हमला बोला है. डोटासरा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को लाचार और असहाय बताते हुए कहा कि वह कोई भी फैसला अपनी मर्जी से नहीं ले सकते. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी मर्जी से फैसला नहीं ले सकते और दिल्ली वालों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन जिए और कौन मारे. 

'सरकार नहीं, सर्कस चल रहा'

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कटाक्ष करते हुए कहा कि राजस्थान में सरकार नहीं, सर्कस चल रहा है. यहां जनप्रतिनिधियों की भी कोई पूछ नहीं है. फिलहाल तो राजस्थान सरकार अफसर शाही के रिमोट कंट्रोल से चल रही है. पिपलोदी हादसे को लेकर डोटासरा ने कहा कि इस हादसे से हर कोई स्तब्ध रह गया. सिस्टम की लापरवाही ने सात मासूमों की जान ले ली और सात घरों के कुलदीपक बुझ गए.

'शिक्षा मंत्री इस्तीफा नहीं दे रहे'

सरकार यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि उनके लापरवाही से यह हो गया. शिक्षा मंत्री नैतिक जिम्मेदारी तो ले रहे हैं लेकिन इस्तीफा नहीं दे रहे हैं. शिक्षा मंत्री यह कह रहे हैं कि अब हम जांच नहीं कर सकते, क्योंकि वह बिल्डिंग गिर गई है. सवाल अब यह उठता है कि आखिर वह बिल्डिंग आनन फानन में क्यों गिरा दी गई. शिक्षकों को और शिक्षा अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया.

गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार पर अपने चिर-परिचित अंदाज में हमला बोलते हुए कहा कि हादसे के समय शिक्षा मंत्री का फूलों की वर्षा करवाना और स्वागत सत्कार करवाना बेहद शर्मनाक है. 

'मुख्यमंत्री को दर्द बांटने तो आना था'

पिपलोदी स्कूल हादसे जैसी बड़ी मुसीबत के समय फैसला और घोषणाएं राज्य के मुखिया को अपने विवेक से फैसला लेकर करनी होती है, लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री की तरफ से अब तक ना तो कोई घोषणा इन बच्चों के लिए की गई, न ही वह खुद यहां आए. हादसे को इतने दिन बीत गए, लेकिन मुख्यमंत्री ने न तो यहां का दौरा किया, न ही किसी सार्वजनिक सभा में झालावाड़ के हादसे पर दुख प्रकट किया. हम मानते हैं कि किसी के आने से जान वापस नहीं आ सकती, लेकिन दर्द बांटने तो आना था. 

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