Sikar News: मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी बाधाएं भी छोटी हो जाती हैं. अगर मन में आत्मविश्वास और हौसले की उड़ान की क्षमता हो तो इंसान की शारीरिक दुर्बलताएं भी सफलता में तब्दील हो जाती हैं. जी हां ऐसा ही कुछ कारनामा कर दिखाया है सीकर जिले के काछवा के सरकारी स्कूल के दिव्यांग शारीरिक शिक्षक और इंटरनेशनल खिलाड़ी महेश नेहरा ने.
सरकारी स्कूल के शारीरिक शिक्षक के रूप में बच्चों को खेलों का प्रशिक्षण दे रहे महेश नेहरा शारीरिक रूप से भले ही दिव्यांग हैं, लेकिन दौड़ में उन्होंने सामान्य खिलाड़ियों को भी पीछे छोड़ते हुए कई बार राज्य और राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में मेडल हासिल किए हैं. कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत का परचम लहराने के साथ ही महेश नेहरा को साल 2016 में महाराणा प्रताप अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.
एक दर्जन दिव्यांग बच्चे खेल चुके नेशनल
महेश नेहरा प्रदेश के ऐसे पहले दिव्यांग खिलाड़ी हैं जो शारीरिक शिक्षकों की राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने अब तक करीब 10 हजार से अधिक बच्चों को खेलों का प्रशिक्षण दिया है. जिसमें से करीब 1 हजार से ज्यादा खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर कई मेडल भी जीत चुके हैं. आज भी सरकारी स्कूल में शारीरिक शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं देने के साथ गांव ढाणियों में दिव्यांग बच्चों की प्रतिभा को ढूंढ कर उनको तराशने का काम कर रहे हैं. उनके द्वारा प्रशिक्षित करीब एक दर्जन दिव्यांग बच्चे नेशनल खेल चुके हैं.
मिल में करते थे मजदूरी, हाथ कट गया
महेश नेहरा किशोरावस्था में पुणे में एक मिल में मजदूरी का काम करते थे जहां साल 2001 में मशीन में उनका हाथ आ गया और इलाज के दौरान उनके हाथ को काटना पड़ा. नेहरा कहते हैं हाथ काटने के बाद भी मैंने कभी यह नहीं सोचा की दायां हाथ कटने के बाद मैं बाएं हाथ से पढ़ाई कर कुछ कर सकता हूं. लेकिन हाथ कटने के बाद जब मैं वापस सीकर कर आया तो यहां लोगों का भी सपोर्ट नहीं मिला. लेकिन मैंने हार नहीं मानी और दायां हाथ काटने के बाद बाएं हाथ से लिखने और काम करने का अभ्यास किया और आगे की पढ़ाई की.
उन्होंने कहा 'कॉलेज में पढ़ाई के दौरान भी उनकी खेल में काफी रुचि थी. लेकिन उन्हें उचित माहौल नहीं मिला,जिसके चलते अपनी बहन - बहनोई के पास उदयपुर चला गए. जहां उसे खिलाड़ी के रूप में एक अच्छा गुरु और अच्छा दोस्त मिला. जिनके साथ प्रैक्टिस कर 5 किलोमीटर की दौड़ लगाई. उसके बाद कॉलेज टूर्नामेंट में 1500 मीटर की दौड़ लगाई जिसमें तीसरा स्थान प्राप्त किया. उसके बाद लगातार प्रेक्टिस जारी रखी और मेहनत करता रहा.
जीत चुके हैं कई मेडल
शारीरिक शिक्षक नेहरा ने बताया कि 2008 में गेम्स की शुरुआत की और कॉलेज लेवल, नेशनल और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी स्तर तक 5 नेशनल खेल लिए. 2010 में एशियन गेम्स क्वालीफाई किया. नेहरा 2016 में महाराणा प्रताप अवार्ड से भी सम्मानित हो चुके हैं. शारीरिक शिक्षक नेहरा कहा कि वो करीब 10 हजार से ज्यादा बच्चों को राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर और इंटरनेशनल प्रतियोगिता के लिए तैयार कर हैं. वो कहते हैं मुझसे प्रशिक्षण लेने के बाद अब तक करीब 400 बच्चे नौकरी लग चुके हैं. नहेरा कहते हैं, मैं 2016 में सरकारी शारीरिक शिक्षक बना तो मैंने भी बहुत संघर्ष किया था.