Hathras stampede: दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर दूर यूपी के हाथरस (Hathras) में बाबा नारायण हरि साकार (Baba Narayan Hari Sakar) उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने इस भगदड़ की न्यायिक जांच कराने का निर्णय लिया है. हादसे के बाद बुधवार को हाथरस पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ ने मीडिया को इसकी जानकारी दी. योगी ने घटना में साजिश की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘यह हादसा था या कोई साजिश और अगर साजिश थी तो इसमें किसका हाथ है...इन सभी पहलुओं को जानने के लिए हम न्यायिक जांच भी कराएंगे जो उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में की जाएगी.'' हाथरस के हादसे ने राजस्थान के जोधपुर स्थित मेहरानगढ़ किले में हुए हादसे (Mehrangarh Tragedy) की याद दिला दी.
मेहरानगढ़ हादसे की जांच रिपोर्ट 16 साल बाद भी नहीं आई
जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में हुए हादसे के अब 16 साल बीत चुके हैं. हाथरस वाले हादसे की तरह ही मेहरगढ़ दुखांतिका की जांच के लिए हाई कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन हुआ था. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 216 लोगों की मौत मामले में हुई जांच की रिपोर्ट आज 16 साल बाद भी सार्वजनिक नहीं हो सकी है.
मेहरानगढ़ हादसे की जांच रिपोर्ट सामने नहीं आने से अब यह सवाल उठता है कि हाथरस भगदड़ पर गठित होने वाली कमेटी की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होगी या नहीं. मालूम हो कि हाथरस वाले मामले में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘इसमें प्रशासन और पुलिस के सेवानिवृत अधिकारियों को रखकर घटना की तह में जाएंगे और जो भी इसके लिए दोषी होगा उन सभी को सजा दी जाएगी.''
CM योगी बोले- ऐसी घटनाएं फिर नहीं हो, इसके लिए बनेगी SOP
योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जाएगी ताकि भविष्य में होने वाले इस तरह के किसी भी बड़े आयोजन में उसे लागू किया जा सके. इन सभी चीजों को सुनिश्चित किया जाएगा.
बाबा को छोड़ सेवादार और आयोजकों पर केस
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश हाथरस हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के जख्म पर मरहम का काम तो कर सकते हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि जब इस मामले में बाबा नारायण हरि को छोड़ मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर सहित अन्य आयोजकों पर केस दर्ज किया गया है. कई लोगों का मानना है कि जब पुलिस केस में ही बाबा को छोड़ दिया गया है तो आगे क्या होगा.
अब बात जोधपुर के मेहरानगढ़ किले के हादसे की
जोधपुर शहर में एक सालों पुराना किला है- मेहरानगढ़ किला. जोधपुर रेलवे स्टेशन से यह किला करीब 3-4 किलोमीटर दूर है. इस किले में चामुंडा माता का एक बहुत प्रसिद्ध मंदिर है. नवरात्र में यहां चामुंडा माता की पूजा के लिए लोगों की भारी भीड़ जुटती है. 30 सितंबर 2008 को यहां नवरात्र के पहले दिन पूजा करने के लिए मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा थी. इसी दौरान अचानक भगदड़ मच गई और इस भगदड़ में 216 लोगों की मौत हो गई.
सरकार बदलते रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई रिपोर्ट
2008 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे. 30 सितंबर को हुई इस दुर्घटना के बाद 2 अक्टूबर को सरकार ने जस्टिस जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में एक न्यायिक जांच आयोग का गठन किया. इस जांच आयोग ने करीब ढाई साल बाद अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी. लेकिन जब रिपोर्ट सौंपी गई कि तब राज्य में भाजपा की सरकार थी. कहा जाता है कि सरकार ने उस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया और इस घटना के पीड़ितों के परिवारजन न्याय पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
कांग्रेस विधायक बोले- रिपोर्ट जारी नहीं करना चाहती भाजपा सरकार
मेहरानगढ़ हादसे की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने की मांग पर राजस्थान हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. जिसपर सुनवाई जारी है. मेहरानगढ़ हादसे पर बायतू के कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने कहा - "कल हाथरस भगदड़ में 116 लोगों की मौत हुई लेकिन इससे ज्यादा 2008 में जोधपुर के मेहरानगढ़ में 216 बेकसूर लोग मारे गए थे, जिसके बाद जांच कमेटी बनी. लेकिन पिछले दिनों राजस्थान की सरकार ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने का जो कुतर्क देते हुए कहा कि इससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है...आज इतने सालों बाद भी सैकड़ों परिवार न्याय के लिए जोधपुर में संघर्ष कर रहे हैं"
सरकार का कुतर्क- शांति-व्यवस्था के लिए रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करना चाहिए
इसी साल मई में राजस्थान हाईकोर्ट खंडपीठ में जोधपुर के मेहरानगढ दुखांतिका को लेकर चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट एवं दो कैबिनेट उप समितियों की रिपोर्ट को पेश किया गया था. इस दौरान महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा - "अब इस मामले को 16 साल हो चुके हैं, इसीलिए सामाजिक सद्भाव और शांति-व्यवस्था को देखते हुए इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पूरी रिपोर्ट को राज्य सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए. अब मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को है."
यह भी पढ़ें -
जयपुर से बस भर की महिलाएं पहुंची थी हाथरस, पीड़िता ने बताया सत्संग में क्या हुआ
UP Hathras Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़, 87 लोगों की मौत