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Rajasthan: चूरू में सर्दियों में 0 डिग्री और गर्मियों में हो जाता है 51 डिग्री सेल्सियस तापमान, क्या है इसके पीछे की वजह ? 

Rajasthan Weather: इस साल जनवरी में राजस्थान में भी सबसे कम तापमान चूरू जिले के फतेहपुर का था. अब जब की सर्दियां खत्म हो रही हैं, लेकिन 7 मार्च को भी चूरू के फतेहपुर का तापमान राजस्थान में सबसे कम 7.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है.

Rajasthan: चूरू में सर्दियों में 0 डिग्री और गर्मियों में हो जाता है 51 डिग्री सेल्सियस तापमान, क्या है इसके पीछे की वजह ? 

Churu Winter and Summer Days Reason: राजस्थान के चूरू जिले का नाम सुनते ही सबसे पहले यहां की सर्दी और गर्मी की बात ज़रूर होती है. इस साल जनवरी में राजस्थान में भी सबसे कम तापमान चूरू जिले के फतेहपुर का था. अब जब की सर्दियां खत्म हो रही हैं, लेकिन 7 मार्च को भी चूरू के फतेहपुर का तापमान राजस्थान में सबसे कम 7.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है.

इस साल की सर्दियों में फतेहपुर का तापमान ज़ीरो और कई बार तो निगेटिव में चला गया था. वहीं साल 2024 की गर्मियों में चूरू में तापमान करीब 48 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. कहा जाता है कि चूरू भारत में सर्दी और गर्मी में सबसे बड़े अंतर वाले जगह है. सर्दी में यहां बर्फ़ जम जाती है तो गर्मी में लू और गर्मी का आतंक मच जाता है. 

साल 2022 के 27 दिसंबर को चूरू में तापमान -0.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था. मौसम विभाग के मुताबिक़ 19 दिसंबर 2021 में चूरू का न्यूनतम तापमान -2.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. वहीं, जून 2019 में यह तापमान 51 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. अब सवाल उठता है कि आखिर तापमान में इतने अंतर के पीछे क्या वजह है? ऐसा क्यों होता है? इस पर कई मौसम वैज्ञानिकों ने अपनी राय दी है. आइये आपको पांच पॉइंट्स में समझाते हैं, इसके पीछे की वजह क्या है? 

  1. चूरू को थार रेगिस्तान का द्वार कहा जाता है. यहां का वातावरण मरुस्थलीय है. जहां दिन में गर्मी पड़ने की वजह से रेत गर्म हो जाती है, जिससे तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है, वहीं रात के समय यह तेज़ी से ठंडी होती है, जिसकी वजह से तापमान में गिरावट आ जाती है.
  2. दूसरी वजह, चूरू की स्थति है. चुरू जिस अक्षांश (Latitude) पर स्थित है, वहां हवा सामान्यत: ऊपर से नीचे की ओर आती है, जिससे बादल कम बनते हैं. जब बादल नहीं होते, तो दिन में सूरज की किरणें सीधी धरती तक पहुंचती हैं, जिससे गर्मी बढ़ जाती है. वहीं, रात में बादल न होने के कारण गर्मी का रेडिएशन वापस अंतरिक्ष में चला जाता है, जिससे ठंडक महसूस होती है.
  3. सर्दी के मौसम में उत्तर दिशा से जो हवाएं आती हैं, वे सीधे राजस्थान के इलाकों को प्रभावित करती हैं, खासकर हवा उन पहाड़ी क्षेत्रों से आती हैं जहां पहले से ही तापमान कम होता है और बर्फबारी होती है. यह भी एक बड़ी वजह है जो चुरू के अत्यधिक तापमान बदलावों की वजह बनती है.
  4. चूरू में पेड़ पौधे कम हैं. यहां जलाशय भी न के बराबर हैं. चुरू के आस-पास के दूसरों जिलों में पेड़-पौधे और फसलें अधिक होती हैं, जिससे वहां की नमी थोड़ी ज्यादा रहती है. लेकिन, चूरू एक अपेक्षाकृत खाली और बंजर इलाका है. 
  5. गर्मी में पश्चिम की ओर से चूरू में तीन से छह किलोमीटर प्रति घंटे की गति से गर्म हवाएं आती हैं. अरब सागर और पाकिस्तान की दिशा से आने वाली ये हवाएं लू के प्रकोप को बढ़ा देती हैं. सूर्य की किरणों का सीधा असर और हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम होने के साथ-साथ चक्रवाती हवाएं भी गर्मी को और अधिक बढ़ाती हैं.

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