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दो सगे भाइयों को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा, कुल्हाड़ी से मचा दिया था तांडव... भाभी और पड़ोसी की हत्या

मामला पारिवारिक विवाद का जिसमें दो लोगों की हत्या कर दी गई. इसमें जहां एक घर की महिला की हत्या की गई. वहीं बीच बचाव में आए पड़ोसी को भी मौत के घाट उतार दिया गया.

दो सगे भाइयों को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा, कुल्हाड़ी से मचा दिया था तांडव... भाभी और पड़ोसी की हत्या

Rajathan News: जालोर जिले के रामसीन थाना क्षेत्र के मोदरान गांव में 3 अप्रैल 2023 को हुए बहुचर्चित डबल मर्डर केस में अपर सत्र न्यायालय के राजेंद्र सहू ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने दो सगे भाई अभियुक्त डुंगर सिंह और पहाड़ सिंह को फांसी की सज़ा सुनाई एवं 10 लाख रुपए के आर्थिक दंड से दंडित किया है. न्यायालय ने मामले को ‘दुर्लभ से दुर्लभतर' (Rarest of Rare) श्रेणी का मानते हुए मृत्युदंड देने का फैसला किया है. बताया जाता है कि यह मामला पारिवारिक विवाद का जिसमें दो लोगों की हत्या कर दी गई. इसमें जहां एक घर की महिला की हत्या की गई. वहीं बीच बचाव में आए पड़ोसी को भी मौत के घाट उतार दिया गया. जबकि भतीजे-भतीजी और एक ASI को भी कुल्हाड़ी से हमला कर घायल कर दिया गया.

विवाह के लिए विवाद पर खूनी संघर्ष

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार आरोपी डूंगरसिंह एवं पहाड़सिंह दोनों अविवाहित थे और विवाह की मांग को लेकर बड़े भाई रतन सिंह पर दबाव बना रहे थे. उम्र अधिक होने, बेरोजगारी और राजपूत समाज में प्रचलित आटा–साटा प्रथा के कारण विवाह तय नहीं हो पाया. बाद में रतनसिंह द्वारा अपनी पुत्री रिंकु कंवर को साटे में देने से इंकार करने पर दोनों भाइयों ने रंजिश पाल रखी थी. इसी प्रतिशोध में 3 अप्रैल 2023 की शाम आरोपियों ने कुल्हाड़ियों से हमला कर अपनी सगी भाभी रतन सिंह की पत्नी इंदिरा कंवर की हत्या कर दी. बीच-बचाव में आई भतीजी रिंकु कंवर और भतीजे जसवंत सिंह पर भी हमला कर दिया. वहीं, रोकने आए पड़ोसी हरि सिंह को भी कुल्हाड़ी से मारकर मौत के घाट उतार दिया. पुलिस टीम के पहुंचने पर प्रतिरोध किया गया, जिसमें पुलिसकर्मी ASI सुरेन्द्र सिंह भी घायल हुए.

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सिर्फ 56 दिनों में पूरी हुई जांच

तत्कालीन एवं वर्तमान थानाधिकारी एवं केस ऑफिसर अरविंद सिंह ने वैज्ञानिक विश्लेषण और पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर मात्र 56 दिनों में अनुसंधान पूरा कर आरोपपत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया. प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसे केस ऑफिसर योजना में भी शामिल किया गया. प्रकरण की न्यायिक कार्रवाई को गति प्रदान करने में कोर्ट मुंशी अशोक कुमार (कानि 510) की सतर्कता और दस्तावेज़ प्रबंधन को न्यायालय ने सराहा. उन्होंने 30 गवाहों की समयबद्ध उपस्थिति सुनिश्चित कराई और प्रत्येक प्रक्रिया का सटीक अभिलेख करण किया, जिससे सुनवाई बिना बाधा के पूर्ण हो सकी.

फैसले पर कांप उठी मृतक हरि सिंह पत्नी की आवाज

निर्णय सुनते ही इंद्रा कंवर के बुजुर्ग पिता और मृतक हरि सिंह की पत्नी की आंखें नम हो गईं. उनकी आवाज कांप रही थी, लेकिन शब्दों में वर्षों का दर्द और न्याय मिलने की संतुष्टि साफ झलक रही थी. उन्होंने कहा, “मेरी विवाहित बेटी और मेरे पति को जिस निर्दयी तरीके से मौत के घाट उतारा गया, उस दर्द ने हमारी पूरी जिंदगी तबाह कर दी. ढाई साल से हम हर दिन न्याय की उम्मीद में रोते रहे और ये दोनों मुलजिम जेल में आराम से रोटियां तोड़ते रहे. लेकिन आज हिंदुस्तान की निष्पक्ष न्यायपालिका ने हमारी पुकार सुनी. आज का फैसला सिर्फ अदालत की जीत नहीं, हर उस पिता की जीत है जिसकी बेटी उससे छीन ली गई. अब मेरी इंदिरा और हरि सिंह की आत्मा को शांति मिलेगी अब उन्हें मोक्ष मिलेगा.

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