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This Article is From Mar 08, 2024

Maha Shivaratri 2024: जमीन के नीचे पाताल में बना है 235 साल पुराना भगवान शिव का मंदिर, विदेशों से भी आते हैं शिव भक्त 

पातालेश्वर मंदिर का निर्माण सन1789 ईसवी में महाराज विजय सिंह की पासवान पत्नी गुलाब राय ने अपने पुत्र शेर सिंह की याद में करवाया था. यह प्राचीन मंदिर जमीन से दो मंजिल नीचे है जहां शिव भक्त 100 से अधिक सीढ़ियां उतरकर भगवान शिव के दर्शन करने पहुंचते हैं.

Maha Shivaratri 2024: जमीन के नीचे पाताल में बना है 235 साल पुराना भगवान शिव का मंदिर, विदेशों से भी आते हैं शिव भक्त 
पाताल में है भगवन शिव का मंदिर

Pataleshwar Mahadev: भगवान शिव के मंदिर आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्र और घने जंगलों के बीच अधिक देखे जाते हैं. लेकिन जोधपुर में 235 साल पुराना एक ऐसा अनोखा शिव मंदिर है जो पाताल में है. इसलिए मंदिर को पातालेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. जोधपुर के भीतरी शहर में कुंज बिहारी मंदिर में स्थित मंदिर सनातन धर्म से जुड़े लोगों के लिए एक बड़ा आस्था का केंद्र है. वहीं इस मंदिर में सिर्फ सनातन धर्मी ही नहीं बल्कि विदेशी भी यहां के शिव भक्त हैं.

विदेशों से भी आते हैं शिव भक्त 

मंदिर के इतिहास की बात करें तो पातालेश्वर मंदिर का निर्माण 1789  संवत में महाराज विजय सिंह की पासवान पत्नी गुलाब राय ने अपने पुत्र शेर सिंह की याद में करवाया था. यह प्राचीन मंदिर जमीन से दो मंजिल नीचे है जहां शिव भक्त 100 से अधिक सीढ़ियां उतरकर भगवान शिव के दर्शन करने पहुंचते हैं. भगवान शिव के भक्तों में आज भी फ्रांस का एक दल हर साल पातालेश्वर मंदिर में आकर विशेष पूजा अर्चना करते हैं. भगवान शिव के यह प्राचीन पातालेश्वर महादेव मंदिर में शिव परिवार को भी स्थापित किया गया है जहां भगवान गणेश और मां पार्वती के साथ कार्तिकेय और नंदी भी बिराजे है जहां प्रतिवर्ष सावन मास में यहां भक्तों का तांता भी लगा रहता है.

जमीन के नीचे बना इकलौता शिव मंदिर 

मंदिर के पुजारी भूपेंद्र वैष्णव ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास 235 साल पुराना है. जहां सनातन धर्म से जुड़े लोगों के लिए एक बड़ा आस्था का केंद्र भी है. मंदिर में शिवरात्रि और श्रावण मास में विशेष श्रृंगार और रुद्राभिषेक भी किया जाता है. पहले पातालेश्वर महादेव मंदिर में भूजल स्तर बढ़ने के कारण पानी भर जाता है. तब भी पानी में जाकर ही भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती थी. लेकिन अब यह समस्या भी नहीं है. जहां दो मंजिला नीचे बने यह पातालेश्वर महादेव का मंदिर प्रदेश का इकलौता मंदिर है. 

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