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This Article is From Mar 08, 2024

Maha Shivaratri 2024: महाशिवरात्रि पर्व पर आस्था का उमड़ा सैलाब, बम भोले की जयघोष से गुंजायमान हुए शिवालय

बम भोले के नारों से शिवालय गुंजयमान हो गए. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को गंगाजल शहर दुग्ध शर्करा बेलपत्र आदि अर्पित किया गया. श्रद्धालुओं द्वारा गंगाजल से सहस्त्र धारा भी छोड़ी गई.

Maha Shivaratri 2024: महाशिवरात्रि पर्व पर आस्था का उमड़ा सैलाब, बम भोले की जयघोष से गुंजायमान हुए शिवालय
मंदिर में

Maha Shivaratri 2024 Date and Time: देशभर में आज महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. इस अवसर पर राजस्थान के धौलपुर जिले में आस्था का सैलाब उमड़ पाड़ा. सुबह 4:00 बजे से सैंपऊ महादेव मंदिर, अचलेश्वर महादेव, मंदिर चोपड़ा महादेव मंदिर एवं भूतेश्वर महादेव मंदिर पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी.

सैंपऊ महादेव मंदिर पर आठ दिवसीय लक्खी मिले की भी शुरुआत हो गई. सुबह 4:30 मंगला आरती के बाद भारी तादाद में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंचे. हजारों की तादाद में कावड़ियों द्वारा हरिद्वार, सोरों और कर्णवास से गंगाजल भरकर भगवान भोलेनाथ को अर्पित किया है. मेले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी तादाद में पुलिस बल तैनात किया है.

गुरुवार रात्रि से ही शिव मंदिरों में धूमधाम देखी गई. जिले के सभी शिवालयों पर हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंच गए. बम भोले के नारों से शिवालय गुंजयमान हो गए. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को गंगाजल शहर दुग्ध शर्करा बेलपत्र आदि अर्पित किया गया. श्रद्धालुओं द्वारा गंगाजल से सहस्त्र धारा भी छोड़ी गई. हजारों की तादाद में कावड़िया हरिद्वार, करनवास, सोरों से गंगाजल भर कर पहुंचे. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को गंगाजल अर्पित किया गया. सबसे अधिक श्रद्धालु एवं कावड़ियों की भीड़ सैंपऊ के ऐतिहासिक शिव मंदिर पर देखी गई. महाशिवरात्रि से आठ दिवसीय मेला भी शुरू हो गया. 

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700 साल पुराना है शिवलिंग

सैंपऊ के महादेव मंदिर का शिवलिंग लगभग 700 वर्ष पुराना है. करीब ढाई सौ वर्ष पूर्व मंदिर का निर्माण तत्काली रियासत के महाराज उदयभान सिंह के रिश्तेदारों ने कराया था. पौराणिक मान्यता के मुताबिक भगवान भोलेनाथ सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करते हैं. अविवाहित युवतियों को मन चाहे वर की प्राप्ति होती है. महादेव मंदिर पर साल में सावन एवं फागुन में दो बार मेले का आयोजन किया जाता है. मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान से लाखों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं.

शिवलिंग का नहीं पाया गया आदि अंत

सैंपऊ के महादेव मंदिर के शिवलिंग का आदि अंत नहीं पाया गया है. लगभग ढाई सौ वर्ष पूर्व तत्कालीन रियासत के महाराज उदयभान ने शिवलिंग की खुदाई कराई थी. लेकिन शिवलिंग का दूसरा छोर नहीं मिल पाया. ऐसे में उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण करा दिया गया. दक्षिण भारत में रामेश्वरम के बाद महादेव मंदिर दूसरे स्थान पर अपनी विशालता को कायम किए हुए हैं.

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