Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक में राजस्थान की दो बेटियों अवनी लेखरा और मोना अग्रवाल ने गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर नया इतिहास रच दिया है. अवनी का पैरालंपिक में यह दूसरा गोल्ड मेडल है. ऐसा करने वाली वह भारत की पहली एथलीट बन चुकी है. दूसरी ओर मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर बड़ी उपलब्धि हासिल की. ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली मोना अग्रवाल की संघर्ष और सफलता की कहानी हम सभी को प्रेरित करने वाली है. दो बच्चों के साथ-साथ परिवार की देखरेख, नौकरी की जिम्मेदारी संभालते हुए 37 साल की उम्र में मोना ने जो हासिल किया, वह बहुत बड़ी बात है.
पोलियो ने चलने-फिरने में रुकावट डाली लेकिन...
भारत के लिए पैरा ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली मोना अग्रवाल की कहानी काफी प्रेरणादायी है. मोना दो बच्चों की मां हैं. उनकी 5 साल की एक बेटी और 3 साल का बेटा है. मोना खुद 37 साल की हैं. एथलीट मोना अग्रवाल ने काफी संघर्ष से यह मुकाम हासिल किया है. पोलियो के संक्रमण ने भले ही उनके चलने-फिरने में रुकावट डाली लेकिन उनके हौसले को रोक नहीं पाई.
पहले एथलेटिक्स में थी मोना की रुचि
37 वर्षीय मोना अग्रवाल की रुचि एथलेटिक्स में रही है. पहले वह शॉटपुट, डिस्कस, जेवलिन थ्रो में हाथ आजमाना चाहती थीं लेकिन बाद में उन्होंने शूटिंग में करियर बनाने का फैसला किया. 2021 में उन्होंने शूटिंग में हाथ आजमाने की ठानी. जब उन्होंने यह फैसला किया उससे कुछ महीने पहले ही उनके बेटे अविक का जन्म हुआ था.
बच्चों की देखरेख, बैंक की नौकरी के साथ-साथ प्रैक्टिस
तब उनकी बेटी आरवी दो साल की थी. दो छोटे बच्चों का ध्यान रखना, बैंक की नौकरी के साथ-साथ प्रैक्टिस जारी रखना बहुत आसान नहीं था. हालांकि पति रविंद्र भी खिलाड़ी हैं तो घरवालों का भरपूर सहयोग मिला. परिवार वालों के सहयोग के कारण वे लगातार प्रैक्टिस भी करती रहीं और आज ओलंपिक मेडल जीता.
2023 में क्रोएशिया विश्व कप में जीता मेडल
मोना का पहली बार 2023 में क्रोएशिया के ओसिजेक में होने वाले डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप में चयन हुआ. यहां उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता. पहले प्रयास में पदक जीतने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने 2022 एशियाई पैरा खेलों और लीमा में 2023 डब्ल्यूएसपीएस चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
WSPS में अवनी लेखरा को छोड़ दिया था पीछे
फिर उन्होंने नई दिल्ली में हुए डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप 2024 में गोल्ड मेडल जीता. वर्ल्ड कप में उन्होंने भारत की प्रसिद्ध पैरा शूटर अवनी लेखरा को पीछे छोड़ दिया था. तभी उनसे पदक की उम्मीद काफी बढ़ गई थी. मोना मूल रूप से राजस्थान के सीकर की रहने वाली हैं. उनका परिवार नेपाल में बिजनेस करता है.
कभी हिम्मत नहीं हारना चाहिए... बताती है मोना की कहानी
जबकि मोना के पति रविन्द्र चौधरी नांगल चौधरी के गांव कालबा से है. रविन्द्र दो भाई हैं. और परिवार के साथ वर्तमान में जयपुर में रह रहे हैं. माता-पिता के साथ रविंद्र जयपुर में रह रहे हैं. रविंद्र का छोटा भाई RPF में जयपुर स्टेशन पर तैनात है. उन्होंने बताया कि मोना की कामयाबी से आज हम सभी लोग काफी खुश है. मोना की कहानी हमें बताती है कि किसी भी परिस्थिति में अपना हिम्मत नहीं हारना चाहिए.
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