राजस्थान का एक ऐसा मंदिर जो भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक है यहां हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु अपनी मन्नत मांगने के लिए पहुंचते है. हम बात कर रहे है सीकर जिले के श्रीमाधोपुर शहर के नगर आराध्य भगवान श्री गोपीनाथ मंदिर के बारे में, इस बार यहां 10 दिवसीय महोत्सव के तहत रविवार दोपहर को भगवान जगन्नाथ को 12.5 फीट लंबे और 7.5 फीट चौड़े रथ में विराजमान कर मंदिर की परिक्रमा करवाई गई. मंदिर परिक्रमा के दौरान हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा और श्रद्धालुओं में भगवान के रथ को खिंचने की होड़ मच गई.
पूरे नगर में कराया गया भ्रमण
गोपीनाथ मंदिर मंहत डॉ. ने बताया कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा देवी को गर्भगृह से लाकर पौराणिक 150 ईंच लंबे और 60 ईंच चौड़े रथ में विराजित किया गया और पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने झाडू से भगवान जगन्नाथ का रथ बुहारा. इस दौरान संकीर्तन पर श्रद्धालुओं ने नृत्य किया. परिक्रमा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए जलपान और जूस की व्यवस्था भी की गई. रथ परिक्रमा के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा मंदिर में विराजित हुए. जगन्नाथ महोत्सव के दस दिवसीय कार्यक्रम की समाप्ति पर 12 जुलाई को मुख्य रथयात्रा महोत्सव का आयोजन होगा. इस दौरान 21 फीट ऊंचे रथ में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को विराजित कर नगर भ्रमण कराया जाएगा.
वर्षों पुराना मंदिर
विक्रम संवत 1778 में गोपीनाथ मंदिर की स्थापना सीकर के राजा शिवसिंह द्वारा की गई थी. गोपीनाथ मंदिर में परंपरा के अनुसार पौराणिक काष्ठ के रथ में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को विराजित कर मंदिर भवन के चारों ओर परिक्रमा कराई गई. गोपीनाथ मंदिर के महंत डॉ. मनोहर शरण के सानिध्य में 10 दिवसीय जगन्नाथ महोत्सव कार्यक्रम आयोजित हुआ.
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