Sri Ganganagar: अपनी गजल गायकी से देश ही नहीं दुनिया भर में अपनी पहचान कायम करने वाले गायक जगजीत सिंह (Jagjit Singh) की आज पुण्यतिथि है. आज संगीत प्रेमी उन्हें तरह तरह से श्रद्धांजलि दे रहे हैं. जगजीत सिंह राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के रहने वाले थे, ऐसे में श्रीगंगानगर के लोगों में उनके प्रति एक विशेष प्रेम और स्नेह दिख रहा है. स्पेशल रिपोर्ट...
मशहूर गजल गायक की गजलों के बारे में कौन नहीं जानता. जब वे गाते थे तो एक समा बांध जाता था और हर कोई उनकी सुरीली आवाज और गायकी का कायल था. श्रीगंगानगर में जगजीत सिंह का बचपन बीता. उन्होंने काफी पढ़ाई श्रीगंगानगर में की, उसके बाद वे जालंधर चले गए और उसके बाद मुंबई. श्रीगंगानगर के राष्ट्रीय कला मंदिर नाम की एक संस्था से जगजीत सिंह का बेहद लगाव रहा. आज इसी राष्ट्रीय कला मंदिर में संगीत प्रेमियों ने जगजीत सिंह की गजलों को गाकर उनको याद किया. इस संस्था के पूर्व अध्यक्ष निर्मल जैन ने बताया कि जगजीत सिंह 1995 में श्रीगंगानगर में कार्यक्रम करने आए थे और उस कार्यक्रम की फीस उन्होंने नहीं ली, बल्कि इकट्ठा हुए फंड को उन्होंने राष्ट्रीय कला मंदिर के निर्माण के लिए दे दिया था.
स्कूल में बनाया गया ऑडिटोरियम
श्रीगंगानगर में जगजीत सिंह को चाहने वालो की बात की जाए तो नोजगे पब्लिक स्कूल में जगजीत सिंह की याद में एक ऑडिटोरियम ही बना दिया गया है. इस ऑडिटोरियम में स्कूल के करीब डेढ़ सौ बच्चों को जगजीत सिंह की गजलों की गायकी सिखाई जाती है. म्यूजिक टीचर शालिनी वर्मा ने बताया कि जगजीत सिंह श्रीगंगानगर के रहने वाले थे, और उनकी गायकी को और अधिक फैलाने के लिए इस ऑडिटोरियम का निर्माण किया गया. इसके साथ-साथ स्कूल के एमडी पीएस सूदन और प्रिंसिपल निम्फिया रेड्डी का संगीत से बेहद जुड़ाव है. ऐसे में स्कूल में संगीत से जुड़े काफी कार्यक्रम होते रहते हैं. वहीं संगीत सीख रहे बच्चों ने कहा कि जगजीत सिंह की गजलों से उन्हें पढ़ाई के तनाव से रिलैक्स महसूस होता है. इसके साथ साथ उनकी गजलों से प्रेरण भी मिलती है.
चीजों को सहेज के लिए समाकर
जगजीत सिंह के परिवार से आज भी जुड़े एक परिवार के सदस्य सुभाष गोगी ने बताया कि वे जगजीत सिंह को बचपन से जानते हैं और आज भी उनके जेहन में जगजीत सिंह के कमरे में रखी शिलडे (पुरस्कार) अंकित हैं. जगजीत सिंह के रियाज करने का कमरा उनके जेहन में है. इसके साथ साथ जगजीत सिंह उस जमाने में बेंजो बजाया करते थे, वो भी उनके जेहन में आज भी अंकित है. उनका कहना है कि जगजीत सिंह की याद में एक स्मारक बनाया जा रहा है, जिसमें जगजीत सिंह से जुड़ी हुई चीजों को सहेज कर रखा जाएगा.
आज भी सुरक्षित हैं रियाज वाले तबले
जगजीत सिंह की याद में एक करोड़ रुपये की लागत से एक डबल स्टोरी स्मारक बनाया जा रहा है. जगजीत सिंह जिन तबलों पर रियाज करते थे, वे तबले आज भी श्रीगंगानगर में सुरक्षित हैं. जिन्हे इस स्मारक में रखा जाएगा. इसके साथ साथ जगजीत सिंह के साथ जुड़ी हुई अन्य चीजों को भी इस स्मारक में रखा जाएगा, ताकि उनकी यादों को चिर स्थायी रूप दिया जा सके.