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रानी की ख्वाहिश पूरी करने के लिए बना था यह महल, एक माचिस की तीली से जुगनू सा जगमगाने लगता है पूरा फोर्ट

Amer Fort's Sheeshmahal: यह किला जयपुर से 11 किलोमीटर दूर दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर स्थित है. किले के अंदर कई तरह की पेंटिंग और कलाकृतियां हैं, जो आपको रोमांचित कर देगी.

रानी की ख्वाहिश पूरी करने के लिए बना था यह महल, एक माचिस की तीली से जुगनू सा जगमगाने लगता है पूरा फोर्ट

Jaipur's Foundation Day: आज 18 नवंबर को जयपुर का स्थापना दिवस है. खूबसूरत महल, ऐतिहासिक विरासत और अद्भुत संस्कृति समेटे हुए गुलाबी नगरी यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है. यहां का पर्यटन दुनियाभर के सैलानियों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है. राजधानी के स्थापना दिवस (Jaipur's Foundation Day) के मौके पर जानिए आमेर किले (Amer fort) की खास बातें, जो खूबसूरत नक्काशी के साथ शानदार वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है.

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यह किला जयपुर से 11 किलोमीटर दूर दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर स्थित है. किले के अंदर कई तरह की पेंटिंग और कलाकृतियां हैं, जो आपको रोमांचित कर देगी. इस किले में स्थित शीश महल जयपुर की वास्तुकला का एक ऐसा अद्भुत नमूना है, जिसमें दर्पण का काम देखने को मिलता है. इस किले को मिरर पैलेस भी कहते हैं. 

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ढाई करोड़ कांच के टुकड़ों से तैयार हुआ है शीश महल

शीश महल के अंदर कांच के हर रंग के लगभग 25 मिलियन यानी ढाई करोड़ कांच के टुकड़ों से इसे तैयार किया गया है. इसकी वास्तुकला बेहद ही अनूठी और शानदार है. महल के अंदर बना फर्श भी कांच के टुकड़े से बना हुआ हैं. महल के अंदर एक भी ऐसी जगह नहीं है, जहां कांच नहीं लगा हो. इसी के चलते इसका नाम शीश महल रखा गया था. यह आमेर किले की सबसे प्रसिद्ध और आकर्षक विशेषता है, जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी में महाराजा मान सिंह ने करवाया था. हालांकि, 1727 ई. तक इसका निर्माण पूरा हो चुका था.

कांच-कीमती पत्थरों से दीवार और छत को किया गया है तैयार

इस शीश महल को दर्पण महल के नाम के नाम से भी जाना जाता है. यह महल राजा ने अपनी रानी के लिए बनवाया था, जिसमें विशेष रूप से महल की दीवार और छत को सुंदर चित्रों और फूलों की डिजाइन से सजाया गया है. शीश महल में अगर एक मोमबत्ती भी जला दी जाए तो हजारों जुगनू की रोशनी भी फिकी पड़ जाती हैं. इस महल को बनाए जाने के पीछे एक खास वजह थी.

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रात में सितारे देखना चाहती थी रानी

दरअसल, रानी की ख्वाहिश थी कि वह सोते समय महल के भीतर से भी सितारों को देखें. उनकी इच्छा पूरी करने के लिए महाराजा ने अपने वास्तुकारों से एक ऐसा महल डिजाइन करने के लिए कहा जो इस समस्या का समाधान कर सके. महल में हॉल की दीवारें और छत को कांच और कीमती पत्थरों से बनाया गया है. इसकी वजह से अगर कोई दो मोमबत्तियां जलाता है, तो उसका प्रतिबिंब उस मामूली रोशनी को हजारों सितारों में बदल देता है, जो देखने में शानदार लगता है. 

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