
Jaipur road bad condition during monsoon: राजधानी जयपुर में मानसून के शुरू होते ही जगह-जगह जल भराव और टूटी हुई सड़कों की यह तस्वीर आम हो चुकी है. मानसून से पहले नगर निगम जेडीए के द्वारा बंद कमरों में कागजों पर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन इन दावों में कितनी सच्चाई है. जयपुर के चौमू पुलिया से लेकर सीकर रोड पर सीवरेज के गंदे पानी की समस्या से लोग परेशान हैं. गंदे पानी के सड़कों पर बहने से व्यापार ठप हो गया है. इस मामले पर उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी अधिकारियों को फटकार चुकी है. उन्होंने सख्त लहजे में कहा था कि इस मामले में लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन भी लिया जाएगा.
जेडीए-निगम एक-दूसरे को ठहरा रहे जिम्मेदार
हैरानी की बात यह है कि समस्या के समाधान की बजाय जेडीए और नगर निगम के अधिकारी एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. दरअसल, जयपुर की सीकर रोड प्रदेश के 5 जिलों को जोड़ती है. ऐसे में यहां बहता सीवरेज का गंदा पानी परेशानी का सबब बना हुआ है. फल विक्रेताओं को इसी बदहाली के बीच अपनी दुकान लगानी पड़ रही है. जबकि NHAI ने रूट परिवर्तित कर दिया है.
तैयारियों की खुल गई पोल
ऐतिहासिक विरासत के कारण पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखने वाली गुलाबी नगरी के ऐसे हालात से हर कोई परेशान है. हालांकि यह मामला सिर्फ एक इलाके का नहीं है, बल्कि मानसून के चलते अमूमन यही हाल है. मानसून की शुरुआत के साथ ही जयपुर नगर निगम और जेडीए की तैयारियों की पोल भी खुल गई है.
घंटो बंद कमरे में होती है मीटिंग, नहीं निकलता समाधान
आमतौर पर मानसून के आने से पहले जयपुर की सड़कों और नालों को साफ सुथरा रखने के लिए करोड़ों रुपए का बजट खर्च किया जाता है. लेकिन यह बजट कहां और किस जगह खर्च होता है, इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है. पूरे जयपुर में 650 से अधिक नाले हैं, जिनकी सफाई के लिए निगम और जेडीए मानसून के आने से पहले कई घंटों तक बंद कमरों में मीटिंग करता है. उसके बाद आम जनता को गंदे पानी और अच्छी सड़कों के दावे कागजों पर करता है. लेकिन समस्या का कोई स्थाई समाधान नजर नहीं आ रहा है.
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