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ओरण की प्राकृतिक विरासत बचाने के लिए जैसलमेर प्रशासन को दिया 7 दिन का अल्टीमेटम

जैसलमेर के ग्रामीण और पर्यावरण प्रेमी ओरण क्षेत्र के संरक्षण और इसे राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग को लेकर प्रशासन के सामने लगातार आंदोलन कर रहे हैं.

ओरण की प्राकृतिक विरासत बचाने के लिए जैसलमेर प्रशासन को दिया 7 दिन का अल्टीमेटम
कलेक्टर को ज्ञापन देते जैसलमेर के पशुप्रेमी

Rajasthan News: रेगिस्तान के बींच बसे सरहदी जिले जैसलमेर में ओरण के संरक्षण व संवर्धन कों लेकर जदोजहद जारी है. ओरण क्षेत्र की जमीनों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग को लेकर सोमवार कों फिर एक बार पर्यावरण प्रेमियों और ग्रामवासियों ने जिला कलेक्टर के द्वार पर गुहार लगाई. ग्रामीणों ने सोमवार को कलेक्टर प्रताप सिंह को ज्ञापन भी सौंपा. ओरण बचाने के लिए चल रहे आंदोलन में शामिल लोगों ने सोमवार प्रशासन कों 7 दिन में निस्तारण का अल्टीमेटम देते हुए ओरण को रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग की.

भूमि आवंटन का विरोध

पर्यावरण प्रेमी का कहना है कि उनकी मांगे पूरी होती है तो ठीक नहीं तो 7 दिन बाद उग्र आंदोलन की राह पकड़ेंगे. ज्ञापन में ओरण क्षेत्र की जमीनों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग की और निजी कंपनियों को ओरण भूमि के आवंटन का विरोध भी किया.

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आंदोलन करने पर मजबूर लोग

ओरण के लिए जंग लड़ रही टीम ओरण के सदस्य सुमेर सिंह भाटी ने बताया- जैसलमेर के समस्त पशुपालक, पर्यावरण प्रेमी और वन्य जीव प्रेमी पिछले चार-पांच साल से जैसलमेर की सभी मुंह बोली ओरणों, गोचरों और चारागाहों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने के लिए आंदोलन करने पर मजबूर हैं.

लोगों की मांग है कि जैसलमेर की समस्त मुंह बोली ओरणों, गोचरों और चारागाहों को राजस्व रिकॉर्ड में ओरण, गोचर, चारागाहों के नाम से दर्ज किया जाए. वहीं इन ओरणों कों सोलर एवम विंड कंपनियों को आवंटित न किया जाए.

कलेक्टर के सामने रखी अपनी मांग

ओरण प्रेमियों ने अपनी प्रमुख मांगे भी कलेक्टर के सामने रखी. उन्होंने कहा कि लंबे समय से जिन ओरण, गोचर और चारागाह की जमीन को रिकॉर्ड में दर्ज करवाने के लिए जैसलमेर-जयपुर के बीच लटकी फाइल्स का निस्तारण करवाकर रिकॉर्ड में दर्ज करवाएं.

वहीं उनकी दूसरी प्रमुख मांग यह है किओरण, गोचर और चारागाहों में सोलर एवं विंड कम्पनियां भूमि आवंटन नही हो.वही अलॉट हुई जगहों पर कंपनियों द्वारा पेड़ - पौधे उखाड़ पर प्रकृति को नष्ट किया जा रहा है,उन कंपनियां पर कठोर कार्यवाही की जाए.

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