जैसलमेर में पहली बार तीन प्रवासी पक्षियों के झुंड ने ब्रिडिंग कर अंडे दिए और अब उन्होंने नन्हें मेहमानों को जन्म दिया है. यह एक बहुत ही पॉजिटिव खबर है, क्योंकि यह इस बात का संकेत है कि थार का रेगिस्तान पक्षियों के लिए एक अनुकूल आवास बन रहा है.
इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से एक जलवायु परिवर्तन है. जलवायु परिवर्तन के कारण रेगिस्तान में तापमान में कमी आई है, जिससे यहां रहने के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बन रहा है. इसके अलावा, जैसलमेर में कई नए जलाशय और तालाब बनाए गए हैं, जो पक्षियों के लिए भोजन और पानी की उपलब्धता बढ़ा रहे हैं.
यह खबर पक्षी प्रेमियों के लिए भी एक बड़ी खुशी है. जैसलमेर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, और यहां पक्षी देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. इस खबर से यह उम्मीद बढ़ गई है कि भविष्य में यहां और भी अधिक प्रजातियों के पक्षी आएंगे.
तीनों प्रवासी पक्षियों के बारे में कुछ जानकारियां
कैटल इग्रेट: यह एक मध्यम आकार का बगुला है, जो मुख्य रूप से कीड़ों को खाता है. यह अक्सर मवेशियों की पीठ पर बैठा देखा जाता है, जहां से यह अपने शिकार को ढूंढता है.
लिटिल कॉर्मोरेंट: यह एक छोटा जलपक्षी है, जो मुख्य रूप से मछली खाता है. यह एक कुशल गोताखोर है और पानी के अंदर अपने शिकार को पकड़ लेता है.
ब्लैक-क्राउन्ड नाइट हेरोन: यह एक मध्यम आकार का हेरोन है, जो मुख्य रूप से रात्रिचर होता है. यह मछली, कीड़े और अन्य छोटे जानवरों को खाता है.
पक्षियों की पर्यावरण भूमिका महत्वपूर्ण
पर्यावरण में संतुलन बनाने के लिए पक्षियों का होना बहुत आवश्यक होता है. यह पक्षियां फसलों पर लगने वाले कीडों को खाती है, जिससे फसलों पर कीटनाशक जैसे रासायनिक दवाओं का उपयोग नही करना पड़ता है.
पक्षियां बन रहीं आकर्षण का केंद्र
शुष्क कहे जाने वाले रेतीले थारों कें बींच बसे जैसलमेर में जलवायु परिवर्तन कें चलते वातावरण में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. जैसलमेर में दिनों दिन पक्षी प्रेमियो और पक्षियो पर शोध करने वालो के लिए एक नई डेस्टिनेशन बन रहा है. थार का रेगिस्तान एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र है, और यह पक्षियों और अन्य जानवरों के लिए महफूज ठिकाना बना रहे.
शोध में पहली बार सामने आई जैसलमेर में प्रजनन की बात सामने : डॉ. मीणा
जैसलमेर के राजकीय एसबीके महाविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ श्यामसुन्दर मीणा ने बताया कि वो पिछले लम्बे समय से जैसलमेर कें गड़िसर सहित विभिन्न तालाबों की जैव विविधता पर शोध कर रहे है. उनका कहना है कि उन्होंने पहली बार हजारों की तादात में केटल इग्रीट और अन्य प्रजाति कें बगुले देखे. साथ ही उन्होंने इनमे हलका बदलाव देखा जो सामान्यतः ब्रिडिंग कें वक्त देखने को मिलता है. उन्होंने जब शोध किया तो यह बात सामने आई कि पक्षी अब प्रजनन कर रहे है.