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जल जीवन मिशन: हर घर नल से जल पहुंचाने के मामले में पिछड़ा राजस्थान, जोधपुर में अधूरी टंकियां, प्यासे रह गए ग्रामीण

संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में जल जीवन मिशन योजना का प्रदर्शन काफी खराब रहा है. जल संकट के चलते ग्रामीणों को मजबूरन टैंकरों से पानी मंगवाना पड़ रहा है.

जल जीवन मिशन: हर घर नल से जल पहुंचाने के मामले में पिछड़ा राजस्थान, जोधपुर में अधूरी टंकियां, प्यासे रह गए ग्रामीण
प्रतीकात्मक तस्वीर

Rajasthan News: भारत सरकार की महत्वपूर्ण परियोजना "जल जीवन मिशन" के तहत हर घर नल से जल पहुंचाने के मामले में राजस्थान पिछड़ा हुआ नजर आ रहा है. हाल ही में एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि राजस्थान देश के उन पांच प्रमुख राज्यों में शामिल है, जहां इस योजना का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है.

जोधपुर में अधूरे पड़े प्रोजेक्ट

जोधपुर जिले में जल जीवन मिशन के तहत दो प्रमुख प्रोजेक्ट चल रहे हैं वृहद और लघु प्रोजेक्ट. जिले के 589 गांव वृहद प्रोजेक्ट में शामिल हैं, जबकि 592 गांव लघु प्रोजेक्ट में शामिल है. लेकिन ज्यादातर गांवों में आज भी इस योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पाया है.

दईजर गांव की स्थिति सबसे चिंताजनक है. यहां 15,000 से अधिक लोग निवास करते हैं, लेकिन जल जीवन मिशन के तहत बनी 350 केएल क्षमता की पानी की टंकी का निर्माण कार्य दो साल बाद भी अधूरा पड़ा है.

नवंबर 2021 में परियोजना का कार्य आदेश जारी किया गया था और इसे फरवरी 2023 तक पूरा होना था, लेकिन वर्तमान में टंकी का स्ट्रक्चर महज 5 फीट तक ही बना है.

ग्रामीणों की मजबूरी, टैंकर का सहारा

जल संकट के चलते ग्रामीणों को मजबूरन टैंकरों से पानी मंगवाना पड़ रहा है. वहीं कई जगहों पर लोग खारा पानी पीने को मजबूर हैं. एनडीटीवी की टीम ने जब ग्रामीणों से बात की, तो उन्होंने अपनी पीड़ा जाहिर की. ग्रामीणों ने बताया कि टंकी बनने से गांव में खुशी की लहर थी, लेकिन लंबे इंतजार के बाद भी काम अधूरा है.

प्रशासनिक उदासीनता और धीमी गति बनी रोड़ा

परियोजना की धीमी गति और प्रशासनिक उदासीनता ने स्थिति को और खराब कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच तालमेल की कमी के कारण काम में देरी हुई है. साथ ही ठेकेदारों की सुस्ती भी परियोजना के अधूरेपन का बड़ा कारण रही.

कब मिलेगा "हर घर नल से जल" का सपना?

लघु प्रोजेक्ट के तहत 592 गांवों में से 118 गांवों में आज भी काम अधूरा है. अगर समय रहते कार्य पूरा नहीं हुआ, तो ग्रामीणों के लिए यह योजना महज एक सपना बनकर रह जाएगी..

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