
Jhunjhunu News: झुंझुनूं में 29 मई को मंड्रेला थाने में पुलिस हिरासत में दुष्कर्म के आरोपी कुमार गौरव शर्मा की मौत के बाद शुरू हुआ बवाल सोमवार को शांत हो गया. आरोपी कुमार गौरव के परिजन छठे दिन शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए कोटपूतली रवाना हो गए। दरअसल, परिजन आरोपी गौरव की हत्या का मामला दर्ज करने और पुलिसकर्मियों को निलंबित करने समेत अन्य मांगों को लेकर शव नहीं लेने पर अड़े थे.
आईजी सत्येंद्र सिंह ने परिजनों से की बातचीत
मामला बढ़ता देख सीकर आईजी सत्येंद्र सिंह ने बीती रात मृतक के परिजनों से बातचीत की. जिसमें आईजी ने परिजनों की मांगें मानते हुए पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने और मंड्रेला एसएचओ रविंद्र सिंह को निलंबित करने के आदेश दिए. इसके अलावा परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्होंने अपनी जेब से उन्हें 50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी दी, जिसके बाद परिजन शव लेने को राजी हुए.इस मामले में रविवार को आईजी से पहले चिड़ावा डीएसपी विकास धींधवाल भी कोटपुतली पहुंचे थे, उन्होंने परिजनों से बातचीत करने की कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं हो पाई थी.
आईजी के निर्देश पर एसएचओ रविंद्र सिंह संस्पेंड
सोमवार को सिटी डीएसपी वीरेंद्र शर्मा और शहर कोतवाल पवन कुमार चौबे की मौजूदगी में शव मृतक के परिजनों को सौंप दिया गया. इसके बाद परिजन शव लेकर रवाना हो गए। इसके साथ ही आईजी के निर्देश के बाद पुलिस ने रातभर सक्रियता दिखाई। रात करीब दो बजे मंड्रेला थाना एसएचओ रविंद्र सिंह, पुलिसकर्मी धर्मपाल, सुमेर सिंह, अंकित, मुकेश, योगेंद्र और दो अन्य लक्ष्मण सैनी और विकास कुमार स्वामी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया.
क्या थ मामला
बता दें कि मंड्रेला थाना इलाके के गांव की युवती ने कोटपुतली निवासी कुमार गौरव शर्मा के खिलाफ नौकरी का झांसा देकर जबरदस्ती शादी करने और दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया था। इस मामले में पुलिस ने कुमार गौरव शर्मा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से उसे पुलिस रिमांड पर मंड्रेला पुलिस के सुपुर्द किया गया था. इस दौरान अचानक 29 मई को आरोपी कुमार गौरव की जेल में ही तबियत बिगड़ी और झुंझुनूं पहुंचते पहुंचते उसकी जान चली गई.
आईजी के हस्तक्षेप के बाद बनी बात
फिलहाल मामले की अभी भी न्यायिक जांच चल रही है. पुलिस मृत्तक की हीट स्ट्रोक से मौत का दावा कर रही है. वहीं मृत्तक के शव का पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड ने न्यायिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पहले ही करवा लिया गया था, लेकिन परिजन उसके बाद भी शव नहीं ले रहे थे. और अपनी मांगों पर अड़े हुए थे. आईजी के हस्तक्षेप के बाद यह मामला शांत हुआ.
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