Health News: कौंच बीज आयुर्वेद में एक चमत्कारी औषधि माने जाते हैं. ये पुरुषों की यौन शक्ति, मानसिक स्फूर्ति और नसों को मजबूती देने में खास भूमिका निभाते हैं. इनका उपयोग सदियों से आयुर्वेदिक दवाइयों में हो रहा है. लेकिन इनका सही तरीके से शुद्ध करना जरूरी है, वरना ये नुकसान भी पहुंचा सकते हैं.
जानें जरूरी है शोधन
कौंच बीज गर्म और तीव्र प्रकृति के होते हैं. इनके ऊपर एक रोमयुक्त परत होती है, जो त्वचा पर खुजली या जलन पैदा कर सकती है. बिना शुद्ध किए सेवन करने से पेट की समस्या या गर्मी बढ़ सकती है. शोधन से बीजों के हानिकारक प्रभाव खत्म हो जाते हैं और ये पूरी तरह सुरक्षित हो जाते हैं.
शोधन की आसान विधियां
आयुर्वेद में कौंच बीज को शुद्ध करने की तीन मुख्य विधियां हैं. पहली में बीजों को गाय के दूध में 3-6 घंटे धीमी आंच पर पकाया जाता है. इसके बाद छिलका हटाकर बीजों को सुखाकर चूर्ण बनाया जाता है. दूसरी विधि में बीजों को 24 घंटे दूध में भिगोया जाता है, जिससे छिलका आसानी से हट जाता है. तीसरी विधि में गोमूत्र में उबालकर बीज शुद्ध किए जाते हैं, जो नसों और वात रोगों के लिए फायदेमंद है.
कौंच बीज के फायदे
शुद्ध कौंच बीजों से बने चूर्ण, कौंच पाक या घृत कई रोगों में लाभकारी हैं. ये वीर्य और शुक्र धातु को मजबूत करते हैं, मानसिक तनाव, अनिद्रा और शारीरिक कमजोरी को दूर करते हैं. खास बात यह है कि इनमें प्राकृतिक एल-डोपा होता है, जो पार्किंसन जैसे तंत्रिका रोगों में मददगार है.
सावधानी जरूरी
कौंच बीज का सेवन बिना शोधन के न करें. हमेशा आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह लें. सही तरीके से शुद्ध किए गए कौंच बीज आयुर्वेद का अनमोल तोहफा हैं, जो सेहत को नई ताकत देते हैं.