
राजस्थान के सीकर जिले में खाटूश्यामजी मंदिर के प्राचीन मंदिर के पुजारियों ने इलाके के विकास के मास्टर प्लान पर असंतोष जताया है. उन्होंने इस संबंध में जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम एक ज्ञापन सौंपा है. इसमें कहा गया है कि वर्ष 2041 के लिए कस्बे के मास्टर प्लान में पहले कुछ और जानकारी दी गई थी. लेकिन अंतिम मास्टर प्लान में परिवर्तन कर दिया गया जिससे लगभग 100 पुजारी परिवारों के बेघर होने और उनकी आजीविका पर संकट खड़ा हो जाएगा. पुजारियों ने अंतिम मास्टर प्लान में संशोधन करने की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो वे आंदोलन करेंगे.
पुजारी किस बात से हैं नाराज
खाटूश्यामजी स्थित विभिन्न प्राचीन एवं ऐतिहासिक मंदिरों के पुजारी परिवारों के प्रतिनिधियों ने कलेक्टर मुकुल शर्मा को ज्ञापन सौंपा. पुजारियो ने बताया कि नगर विकास विभाग, जयपुर ने पिछले साल 2024 में मास्टर प्लान, 2041 का प्रारूप जारी किया था. इसमें मंदिर माफी की जमीनों को प्रभावित नहीं किया गया था. इस वजह से तब पुजारियों ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं करवाई थी.
लेकिन पुजारियों के अनुसार जब प्लान का अंतिम अनुमोदन हुआ तो उसमें मंदिर माफी की जमीनों को सार्वजनिक उपयोग, जैसे पार्क, खुले मैदान, स्टेडियम के रूप में दर्शा दिया गया है, जो कि न्यायोचित नहीं है. उन्होंने कहा कि इन उद्देश्यों के लिए खाटूश्यामजी के प्रस्तावित नगरीय क्षेत्र में 150 हेक्टेयर सरकारी भूमि उपलब्ध है. लेकिन प्लान में इसका उपयोग नहीं किया गया.

खाटूश्यामजी के पुजारी परिवारों ने प्रदर्शन कर विरोध जताया
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बेघर होने और आजीविका पर खतरा
पुजारियों ने बताया कि खाटूश्यामजी में बहुत सारे प्राचीन मंदिर हैं जो 400 वर्षों से अधिक पुराने हैं और उनका ऐतिहासिक तथा धार्मिक महत्व है. वहां मंदिर माफी की जमीनों से जो आय होती है, उसी से मंदिरों का रखरखाव, जीर्णोद्धार और भोग आदि की व्यवस्था होती है. लेकिन इन जमीनों को सार्वजनिक उपयोग में लाए जाने से मंदिरों का रखरखाव तथा भोग आदि समस्त व्यवस्थाएं प्रभावित हो जाएगी.
पुजारियों ने कहा कि इन मंदिर माफी की जमीनों पर लगभग 100 पुजारी परिवारों की आजीविका टिकी हुई है. ऐसे में यदि जमीनों का अधिग्रहण होता है तो सभी पुजारी परिवारों पर बेघर होने के साथ भूखे रहने का संकट खड़ा हो जाएगा.
उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम कलेक्टर को दिए ज्ञापन में मंदिर माफी की जमीनों को विमुक्त करने की मांग नहीं माने जाने तक उग्र एवं लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने की चेतावनी दी है.
पुजारियों और उनके परिवारों ने प्रभावित मंदिर माफी की जमीनों को वर्तमान स्थिति में ही बनाए रखने की मांग को लेकर इकट्ठे होकर विरोध प्रदर्शन भी किया है.
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