
Rajasthan News: राजस्थान के बांसवाड़ा (Banswara) में स्थित 900 साल पुराना त्रिपुरा सुंदरी मंदिर (Tripura Sundari Temple) आस्था का एक ऐसा केंद्र है, जहां आम भक्तों के साथ-साथ बड़े-बड़े राजनेता भी माथा टेकने आते हैं. इस मंदिर की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे मोक्ष और साम्राज्य दोनों की देवी के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर न केवल एक सिद्ध शक्तिपीठ है, बल्कि इसे राजनीति से जुड़े लोगों के लिए सफलता का आशीर्वाद देने वाला भी माना जाता है.
'65 योगिनियों का प्रतीक'
मंदिर के पुजारी निकुंज मोहन पांड्या बताते हैं कि यह एक सिद्ध शक्तिपीठ है और इसे 65 योगिनियों का प्रतीक भी माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इसमें सारी शक्तियां समाई हुई हैं. यहां की देवी को त्रिपुरा कहा जाता है क्योंकि यहां तीनों देवियों, मां काली, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी के दर्शन होते हैं. देवी की 18 भुजाएं हैं, जिसे 'षोडश' भी कहते हैं.
52 शक्तिपीठों में से एक मंदिर
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर उन 52 शक्तिपीठों में से एक है जहां देवी का पीठासन गिरा था. मंदिर की सबसे खास बात यहां की देवी की मूर्ति है, जो काले पत्थर से बनी है. इस तरह के काले पत्थर का इस्तेमाल अयोध्या में रामलला की मूर्ति बनाने के लिए भी किया गया था. मंदिर की हर एक शिला लेख प्राण-प्रतिष्ठा करने के बाद ही स्थापित की गई है, जिससे मंदिर का हर कोना पुण्य का लाभ देता है.
'गुजरात के सोलंकी राजाओं की इष्ट देवी'
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष दुलजीभाई पांचाल बताते हैं कि इस मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और यह गुजरात के सोलंकी राजाओं की इष्ट देवी रही हैं. यही वजह है कि आज भी राजनीति से जुड़े लोग यहां खास तौर पर आते हैं.
राजनेताओं का 'भाग्य-विधाता'
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर को राजनेताओं का 'भाग्य-विधाता' माना जाता है. यह एक ऐसी जगह है जहां चुनाव लड़ने से लेकर जीतने तक हर कदम पर राजनेता आशीर्वाद लेने आते हैं. मंदिर ट्रस्ट के महामंत्री नटवरलाल पांचाल बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी और वसुंधरा राजे जैसे नेता यहां से जीत हासिल करके गए हैं. राजनेता पर्चा भरने से लेकर मतदान करने के बाद तक, यहां अपनी सफलता के लिए आशीर्वाद लेने आते हैं.
CM रहते 2 बार दर्शन करने आए थे मोदी
मंदिर के मैनेजर जागेश पांचाल बताते हैं कि यहां पार्षद से लेकर विधायक और मुख्यमंत्री तक, सभी राजनीतिक जीवन में सफलता के लिए यज्ञ और विशेष अनुष्ठान करवाते रहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब दो बार इस मंदिर में आ चुके हैं. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हर चुनाव से पहले और नतीजों से पहले यहां आशीर्वाद लेने आती थीं. यहां तक कि भारत के मुख्य न्यायाधीश भी यहां से आशीर्वाद लेकर जा चुके हैं.
श्री यंत्र और तंत्र मंत्र का रहस्य
मंदिर की एक और खास बात है कि यहां त्रिपुरा माता की मूर्ति श्री यंत्र पर विराजमान है. श्री यंत्र को देवी की शक्ति का प्रबल प्रतीक माना जाता है. इस कारण इस मंदिर में तंत्र, मंत्र और यंत्र की शक्ति का संगम है. यहां होने वाली पूजा में अत्यधिक शक्ति मानी जाती है. यह मंदिर राजस्थान और गुजरात की सीमा पर लोहे की खदानों के किनारे बसा है. भक्तों की संख्या लंबी है, लेकिन मां त्रिपुरा हर दिल को दुलारी हैं.
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