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किरोड़ी लाल मीणा ने खोला मोर्चा? क्यों कहा 'सरकार में अपमानित हुआ हूं; हां में हां कहने की आदत नहीं'

किरोड़ी लाल मीणा के बयान के बाद विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है. वहीं किरोड़ी लाल मीणा के अपमान को लेकर उन्हें विपक्ष की सहानुभूति मिल रही है.

किरोड़ी लाल मीणा ने खोला मोर्चा? क्यों कहा 'सरकार में अपमानित हुआ हूं; हां में हां कहने की आदत नहीं'

Kirodi Lal Meena: किरोड़ी लाल मीणा अपने बयानों के लिए हमेशा चर्चाओं में बने रहते हैं. राज्य में भजनलाल सरकार के आने के बाद से वह खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं. हालांकि किरोड़ी लाल मीणा ने कांग्रेस की सरकार में जबरदस्त विपक्ष की भूमिका निभाई थी. वहीं बीजेपी सरकार बनने के बाद उन्हें मन चाहा मंत्री पद नहीं मिला. इसके बाद भी वह जनता के बीच काम कर रहे हैं और उनकी बात सरकार तक बात पहुंचाने का आश्वासन दे रहे हैं लेकिन उनके मुताबिक सरकार फैसला नहीं ले रही. ऐसे में किरोड़ी लाल मीणा ने दबे जुबान में अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं मीणा के सहारे विपक्ष को भी मुद्दा मिल चुका है.

किरोड़ी लाल मीणा ने शुक्रवार को परोक्ष रूप से अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि उनकी ‘‘हां कहने की आदत नहीं, वह तो सच कहते हैं.'' उनके इस बयान के बाद विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है. वहीं किरोड़ी लाल मीणा के अपमान को लेकर उन्हें विपक्ष की सहानुभूति मिल रही है.

किरोड़ी लाल मीणा कहा हां कहने पर रिश्ते लंबे चलेंगे

मीणा ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में उनका अपमान हुआ और इस मौजूदा राज में भी उनका अपमान हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार के मामले उठे और पेपर लीक के मामले उठे. युवा जो आस लगाए बैठा है, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए. वीरांगनाओं को अपमानित किया गया... मैं भी अपमानित हुआ उस राज में और अब इस राज में भी अपमान किया जा रहा है.''

बिना किसी का नाम लिए मीणा ने कहा, ‘‘आज का समय मिलावट का है. हां में हां करते जाएंगे तो रिश्ते लंबे चलेंगे. यही होता है. अब हां जी के दरबार में जो ना जी करेगा, वह मरेगा. मेरी हां कहने की आदत नहीं है. मैं जो कहता हूं, सच कहता हूं.''

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे को इस बात का दर्द है कि मैं .. पांच साल तक आप जानते हो कि विपक्ष की भूमिका किसने निभाई? मुझे पार्टी कार्यालय में पत्रकार वार्ता भी नहीं करने दी गई. लेकिन मैं सड़क पर (आंदोलन करते हुए) खड़ा रहा. उसके आधार पर हम सत्ता में आए हैं. और वो मुद्दे जब मरते हैं, उनका परिणाम नहीं निकलता तो मैं भी मुरझा जाता हूं. मेरे को भी दुख होता है, इतनी सी भी वेदना है.''

उल्लेखनीय है कि मीणा के पार्टी के कुछ सदस्यों के साथ जाहिर तौर पर मतभेद माने जाते हैं. पिछले साल लोकसभा चुनाव में राज्य में कुछ सीट पर भाजपा की हार के बाद मीणा ने अपना इस्तीफा सौंप दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री शर्मा ने इसे स्वीकार नहीं किया. पार्टी ने नवंबर में हुए विधानसभा उपचुनाव में मीणा के भाई जगमोहन को दौसा सीट से मैदान में उतारकर उन्हें शांत करने की कोशिश की. हालांकि जगमोहन चुनाव हार गए थे. मीणा ने हार के लिए पार्टी के कुछ नेताओं को जिम्मेदार ठहराया.

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