कोटा में कोचिंग छात्रों की लगातार बढ़ रही आत्महत्या की घटनाओं के बाद कोचिंग संचालकों और प्रशासन ने बैठक की. इसके बाद गाइडलाइन जारी की गई. इसके तहत अब हॉस्टल के हर कमरे में पंखों पर एंटी हैंगिग डिवाइस लगेंगे, साथ ही प्रत्येक बच्चे का साइकोलॉजिकल टेस्ट भी किया जाएगा. इस डिवाइस से पंखे पर 20 किलो वजन लटकते ही पंखा नीचे गिर जाएगा. जिला कलेक्टर ओपी बुनकर ने इसको लेकर निर्देश जारी किए हैं.
कोचिंग छात्रों की खुदकुशी के मामले लगातार बढ़ने के बाद प्रशासन की चिंता बढ़ गई है. इस साल करीब 20 छात्रों ने सुसाइड कर लिया है. छात्रों में सुसाइड की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए कोटा जिला प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया है.
हाईकोर्ट के निर्देश पर कोचिंग पर निगरानी रखने वाली कमेटी की बैठक जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में की गई. जिसमें हॉस्टल संचालक, कोचिंग संचालक, पीजी संचालक, पुलिस अधिकारी, साइकोलॉजिस्ट सहित कोचिंग से जुड़े हुए प्रतिनिधि शामिल हुए.
कोटा में इस साल अब तक 20 सुसाइड के मामले सामने आ चुके हैं, ज्यादातर कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड के कारणों की बात की जाए तो डिप्रेशन बड़ी वजह नजर आती है, जो अभिभावकों की उम्मीदें, चुनौती पूर्ण एग्जाम में असफल होने का डर जैसे अन्य कारणों से पैदा होता है. यही डिप्रेशन छात्रों को आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर कर देता है.
कोचिंग करने आए छात्रों के बढ़ते हुए सुसाइड के मामले को लेकर जिला प्रशासन अब हर पहलू पर इसे रोकने की
कोशिश में जुट गया है. एसपी शरद चौधरी ने बताया कि कोटा में करीब 2 लाख स्टूडेंट कोचिंग के लिए आते हैं जिला प्रशासन के स्तर पर मॉनिटरिंग के लिए कमेटी गठित कर दी गई है. लेकिन इसमें अभिभावकों की और से कोई प्रतिनिधित्व नहीं है इसलिए अब एक कमेटी अभिभावकों की भी बनाई जाएगी जिससे उनके साथ समय-समय पर बैठक कर सुझाव लिए जा सके साथ ही अभिभावकों की भी काउंसलिंग की जा सके.