पिता कानून मंत्री, बेटा बना अतिरिक्त महाधिवक्ता, सवालों के घेरे में राजस्थान की भाजपा सरकार का यह फैसला

Rajasthan AAG Posting Debate: राजस्थान की भाजपा सरकार ने हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 6 अतिरिक्त महाधिवक्ताओं (एएजी) की नियुक्ति की थी. इसमें कानून मंत्री जोगाराम पटेल के बेटे मनीष को एएजी बनाए जाने पर बहस छिड़ गई है.

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राजस्थान के कानून मंत्री जोगाराम पटेल.

Rajasthan Law Minister Jogaram Patel: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा को परिवारवाद को दूर रखने का प्रयास कर रहे हैं. अक्सर चुनावी सभाओं में पीएम मोदी विपक्षी दलों और नेताओं पर परिवारवाद को बढ़ावा देने के बहाने हमलावर रहते हैं. लेकिन राजस्थान की भाजपा सरकार ने राजनीति से इतर एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे भजनलाल सरकार पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लग रहा है. मामला राजस्थान के कानून मंत्री जोगाराम पटेल से जुड़ा है. जिनके बेटे मनीष को भजनलाल सरकार ने अतिरिक्त महाधिवक्ता बनाया है. 

कानून मंत्री जोगाराम पटेल के बेटे की नियुक्ति से बढ़ा विवाद

राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ और जयपुर पीठ में राज्य सरकार की पैरवी के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ताओं की नियुक्ति की गई. विधि एवं कानून मंत्रालय ने मंगलवार को सूची जारी की है. जिसमें प्रदेश सरकार के कानून मंत्री जोगाराम पटेल के पुत्र मनीष का नाम भी शामिल है. पिछली सरकार में अधिवक्ता मनीष एजीसी के रूप में कार्य कर चुके हैं लेकिन इस बार मंत्री पुत्र होने का लाभ देते हुए सीधे अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद पर नियुक्ति दी गई है.

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प्रधानमंत्री मोदी के परिवारवाद नही करने के दावे को नकारते हुए कानून मंत्री पटेल के पुत्र को ही अतिरिक्त महाधिवक्ता बना दिया गया है. इसको लेकर नियुक्तियों के साथ ही अधिवक्ताओं में चर्चा शुरू हो गई है कि भाजपा में भी परिवारवाद की झलक देखने को मिल रही है. राज्य सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट मुख्यपीठ व जयपुर पीठ में पैरवी के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किए है. 

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मंत्री पुत्र मनीष की जोधपुर मुख्य पीठ में नियुक्ति

जोधपुर मुख्यपीठ में वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश पंवार,अधिवक्ता महावीर विश्नोई और मनीष और जयपुर पीठ में संदीप तनेजा और विज्ञान शाह को नियुक्त किया गया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली के लिए शिवमंगल शर्मा को अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया गया है. वही विधि व कानून मंत्री के बेटे को अतिरिक्त महाधिवक्ता बनाने के साथ ही सोशल मीडिया पर भी कार्यकर्ताओं ने आलोचना शुरू कर दी है. लोग भजनलाल सरकार के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं. 

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महाधिवक्ता की महीने की 6-7 लाख की कमाई

मिली जानकारी के अनुसार अतिरिक्त महाधिवक्ता की महीने की आय करीब 6 से 7 लाख रुपए होती है. फिक्स वेतन के रूप में उन्हें सवा लाख रुपए मिलते हैं. इसके अलावा प्रति केस 5 हजार रुपए पैरवी के भी मिलते हैं. एएजी को एक दिन में अधिकतम 5 केसेज में पैरवी का भुगतान किया जा सकता है. जो प्रति दिन के हिसाब से 25 हजार रुपए होता है. हाईकोर्ट में चैंबर, स्टाफ और स्टेशनरी का पूरा खर्चा राज्य सरकार की ओर से वहन किया जाता है.

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