Jodhpur Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख पार्टी के दिग्गज नेता एक दूसरे को घेरने में लगे हुए हैं. एक तरफ कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह उच्चियारड़ा केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को विकास और मारवाड़ और पश्चिमी राजस्थान में पानी नहीं पहुंचाने के आरोप में घेरते नजर आ रहे हैं. दूसरी तरफ शेखावत अपनों को विपक्षियों से मिल जाने का आरोप लगा रहे हैं.
शेखावत का छलका दर्द
गजेंद्र सिंह शेखावत ने कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह उच्चियारड़ा का नाम लेकर अपने भाषण में जिक्र किया. उन्होंने कहा कि 'मुझे समझ नहीं आता कि कांग्रेस के प्रत्याशी मेरे ऊपर आरोप लगाते हैं. भाजपा के लोग भी करण सिंह उच्चियारड़ा के साथ सुर मिलाने लगे हैं और मेरे अपने ही मेरे मुंह पर कालीख पोतने का काम कर रहे हैं.' शेखावत ने कहा कि 'हमारे लोग उनके साथ मिल गए हैं यह मेरा दर्द है.'
'अपनी जमा पूंजी के लिए पीड़ित मोहताज'
संजीवनी घोटाले को लेकर करण सिंह उच्चियारड़ा अपने भाषणों में कह रहे हैं कि मारवाड़ के सबसे बड़े संजीवनी घोटाले के पीड़ितों की दुर्दशा को दशक बीतने को आ रहा है. आज भी न्याय के लिए दर-दर की ठोकरे खाने को लोग मजबूर है. अपनी खून पसीने की जमा पूंजी के लिए पीड़ित आज भी मोहताज है. जबकि गबन की गई राशि से ऐशोआराम बेशकीमती गाड़ियां और विदेशों में जमा धन किसका है? किसी से छुपा हुआ नहीं है.
पूर्व CM ने मुझे फसाने के लिए खर्च किए 40 करोड़: शेखावत
शेखावत की पोकरण विधानसभा क्षेत्र में आयोजित चुनावी सभा में लोगों ने अपने क्षेत्र में सड़क नहीं बनने की बात कही. इस दौरान शेखावत ने लोगों को समझाया कि ' आपको तो सड़क की पड़ी है, और मुझे अपने नाक की पड़ी थी. 5 साल तक गहलोत सरकार मेरा गला काटने का प्रयास करते रहे. मुझे झूठे केस में फसाने के लिए गहलोत सरकार ने वकीलों पर 40 करोड़ रुपये खर्च कर दिए.'
'उनकी प्राथमिकता मुझे फांसी पर लटकाने की'
शेखावत ने चुनावी सभा में लोगों से कहा कि 'अगर यही 40 करोड़ रुपये उनके क्षेत्र में सड़कों पर खर्च किए जाते तो डबल लाइन की सड़क बन जाती. लेकिन कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता सड़क बनाने में नहीं थी. उनकी प्राथमिकता तो मुझे फांसी पर लटकाने की थी. शेखावत ने कहा कि आप लोगों का नाराज होना सही है, क्योंकि आप लोगों ने ही मुझे जीता कर पिछली बार भेजा था. मेरा एक-एक रोम आपका ऋणी है. शेखावत ने कहा कि मैं किसी एक पटवारी को भी अगर इधर-उधर कर देता तो गहलोत सरकार दिक्कत हो जाती थी.
जब कॉविड था तो मैं बंगाल में चुनाव प्रचार पर था मेरे माता-पिता को कोविड़ हो गया था, वह अस्पताल में भर्ती थे. मैं जोधपुर आया तो अपने माता-पिता से मिलने अस्पताल नहीं गया. मैंने बंगाल से आते ही सबसे पहले जिला कलेक्टर से कोविड अस्पताल बनवाने के लिए सरकारी बिल्डिंग मांगी थी. लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार के कारण मुझे सरकारी भवन नहीं मिला फिर मैं केंद्र सरकार के अधीन आने वाले भवन में सिर्फ एक हफ्ते में कोविड केंद्र बनाकर उसमें 125 वेंटिलेटर लगा दिए.'
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